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नई दिल्ली/पटना, 10 जुलाई 2025:बिहार विधानसभा चुनाव से पहले वोटर लिस्ट के विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) को लेकर दायर याचिकाओं पर आज सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है। अदालत ने इस प्रक्रिया पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है और चुनाव आयोग को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि आधार कार्ड, वोटर आईडी और राशन कार्ड को पहचान पत्र के रूप में स्वीकार किया जाए।

तीन घंटे चली सुनवाई, नागरिकता जांच पर सवाल

सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ ने लगभग 3 घंटे तक चली सुनवाई के बाद कहा कि:

“समस्या प्रक्रिया में नहीं, बल्कि समय-सीमा में है। चुनाव से कुछ महीने पहले यह प्रक्रिया शुरू करना व्यवहारिक नहीं है क्योंकि इससे अपील के अधिकार सीमित हो जाते हैं।”

नागरिकता की जांच गृह मंत्रालय का काम: कोर्ट

कोर्ट ने चुनाव आयोग से यह भी पूछा कि:

“आप वोटर लिस्ट में नाम जोड़ने के लिए नागरिकता की जांच क्यों कर रहे हैं? यह गृह मंत्रालय का कार्य है। आप इस दिशा में न जाएं।”

आयोग ने कहा: बिना सुनवाई किसी का नाम नहीं हटेगा

चुनाव आयोग के वकीलों (पूर्व अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल, राकेश द्विवेदी, मनिंदर सिंह) ने अदालत को भरोसा दिलाया कि:

  • बिना सुनवाई किसी भी मतदाता का नाम सूची से नहीं हटाया जाएगा
  • आयोग का उद्देश्य मतदाता सूची की शुद्धता बनाए रखना है, न कि किसी को बाहर करना।

याचिकाकर्ताओं की आपत्ति: नागरिकता के नाम पर वोटर सूची से बाहर करने की आशंका

राजद सांसद मनोज झा, टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा समेत 11 याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दाखिल की थीं।
वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी और गोपाल शंकर नारायणन ने पक्ष रखते हुए कहा:

  • आयोग नागरिकता की जांच के नाम पर लाखों लोगों को बिना पर्याप्त समय दिए सूची से बाहर कर सकता है
  • आधार कार्ड, राशन कार्ड जैसे पहचान पत्रों को आयोग मान्यता नहीं दे रहा, जो अनुचित है।

क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने? – मुख्य बिंदु

  • वोटर लिस्ट रिवीजन पर कोई रोक नहीं।
  • आधार, वोटर आईडी और राशन कार्ड को पहचान पत्र माना जाए।
  • नागरिकता जांच गृह मंत्रालय का काम, आयोग इसमें न जाए।
  • समस्या प्रक्रिया में नहीं, बल्कि इसकी टाइमिंग में है।
  • बिना सुनवाई किसी का नाम मतदाता सूची से न हटाया जाए।

अब अगली सुनवाई 28 जुलाई को

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि मामले की अगली सुनवाई 28 जुलाई 2025 को होगी। तब तक चुनाव आयोग को इन निर्देशों के आलोक में अपनी प्रक्रिया को पारदर्शी और न्यायसम्मत ढंग से संचालित करना होगा।