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भागलपुर। लंबे इंतजार और गहन मंथन के बाद भारतीय जनता पार्टी ने आखिरकार भागलपुर शहरी विधानसभा सीट से अपने उम्मीदवार का ऐलान कर दिया है। पार्टी ने इस बार रोहित पांडेय को मैदान में उतारकर गुटबाजी से ऊपर उठने का संदेश दिया है।

पिछले कई दिनों से भागलपुर सीट को लेकर भाजपा में अंदरूनी खींचतान जारी थी। कई गुट अपने-अपने समर्थक उम्मीदवारों के लिए दबाव बना रहे थे। अंततः पार्टी हाईकमान ने किसी गुट से न जुड़े, संगठन के प्रति वफादार और शांत स्वभाव के नेता रोहित पांडेय पर भरोसा जताया।

2020 में मात्र 946 वोटों से हारे थे रोहित पांडेय
2020 के विधानसभा चुनाव में भाजपा उम्मीदवार रोहित पांडेय ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अजित शर्मा को कड़ी टक्कर दी थी। परिणाम बेहद रोमांचक रहा, जिसमें रोहित पांडेय सिर्फ 946 मतों से पराजित हुए थे।
इस मामूली अंतर ने भाजपा कार्यकर्ताओं में नया उत्साह भरा था और माना जा रहा है कि इसी वजह से पार्टी ने एक बार फिर उन पर भरोसा जताया है।

पिछली बार गुटबाजी बनी थी हार की वजह
2015 में यह सीट भाजपा के अर्जित शाश्वत चौबे लड़े थे, जिन्हें अजित शर्मा ने लगभग 11 हजार वोटों से हराया था। उस चुनाव में भाजपा के ही वरिष्ठ नेता विजय साह ने बागी उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतरकर पार्टी के वोट काटे थे, जिससे भाजपा को नुकसान हुआ था।

रोहित पांडेय के लिए चुनौती और अवसर दोनों
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि भाजपा ने इस बार जातीय और गुटीय संतुलन को साधने के साथ संगठनात्मक एकता पर जोर दिया है। हालांकि, अजित शर्मा की दो बार की लगातार जीत के बाद मुकाबला अभी भी दिलचस्प बना हुआ है।


 

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