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पटना, बिहार — पटना के निकट विकसित हो रहे बिहटा एयरपोर्ट के रनवे विस्तार के लिए ज़मीन अधिग्रहण की प्रक्रिया तेज हो गई है। इस महत्वाकांक्षी परियोजना के लिए कुल 191.5 एकड़ भूमि की आवश्यकता है, जिसमें से 173.5 एकड़ जमीन का अधिग्रहण प्रस्तावित है। लेकिन यह अधिग्रहण स्थानीय ग्रामीणों और किसानों के लिए भारी चिंता का कारण बन गया है, क्योंकि दो गांव—शर्फुद्दीनपुर और कोरहर—इस प्रक्रिया से सीधे तौर पर प्रभावित होंगे।

शर्फुद्दीनपुर (पूर्वी दिशा) में प्रस्तावित विस्तार

यदि रनवे का विस्तार पूर्वी दिशा में किया जाता है, तो शर्फुद्दीनपुर गांव से 173.5 एकड़ भूमि अधिग्रहीत की जाएगी। इस क्षेत्र में:

  • 119 पक्के मकान और 35 कच्चे मकान
  • 1 मस्जिद, 1 मकबरा, और 2 एकड़ में फैला कब्रिस्तान
  • लगभग 154 परिवारों को पुनर्वास की आवश्यकता होगी।

इस अधिग्रहण की अनुमानित लागत 844.52 करोड़ रुपये है, जिसमें मकानों और धार्मिक स्थलों के मुआवज़े की राशि शामिल नहीं है। इसके अतिरिक्त, क्षेत्र के निकट स्थित IOCL की गैस पाइपलाइन निर्माण प्रक्रिया को जटिल बना सकती है।

कोरहर (पश्चिमी दिशा) में विकल्प

पश्चिम दिशा में रनवे विस्तार के लिए कोरहर गांव से भी 173.5 एकड़ भूमि ली जाएगी। इस दिशा में प्रभावित संपत्तियों में शामिल हैं:

  • 143 पक्के और 103 कच्चे मकान
  • 6 मंदिर, 1 मकबरा, और 2 एकड़ कब्रिस्तान
  • कुल 246 परिवारों का पुनर्वास आवश्यक

यहां अधिग्रहण की अनुमानित लागत 1025.49 करोड़ रुपये है। इस दिशा में अधिग्रहण से बिहटा-मनेर राष्ट्रीय राजमार्ग और श्रीरामपुर-कोरहर सोन नहर भी प्रभावित हो सकते हैं, जिसके लिए वैकल्पिक बाईपास रोड की योजना पर विचार चल रहा है।

स्थानीय विरोध और प्रशासन की रणनीति

ज़मीन अधिग्रहण के खिलाफ ‘एयरपोर्ट किसान मोर्चा’ के बैनर तले कोरहर, देवकुली और गोखुलपुर गांवों में किसानों ने ज़ोरदार विरोध शुरू किया है। ग्रामीणों ने स्पष्ट कहा है कि वे अपनी ज़मीन नहीं देंगे, चाहे इसके लिए जान ही क्यों न देनी पड़े।

शर्फुद्दीनपुर में भी मस्जिद और कब्रिस्तान के प्रभावित होने की वजह से गहरी नाराज़गी है। डीएम चंद्रशेखर सिंह और एसएसपी राजीव मिश्रा ने दोनों गांवों का निरीक्षण किया है और अधिग्रहण प्रक्रिया में न्यूनतम व्यवधान सुनिश्चित करने के प्रयास जारी हैं।

बिहटा एयरपोर्ट परियोजना का महत्व

बिहटा एयरपोर्ट का रनवे 8000 फीट से बढ़ाकर 12000 फीट किया जाएगा ताकि एयरबस A320 और बोइंग 737 जैसे बड़े विमानों की सुरक्षित लैंडिंग हो सके।

इस परियोजना का उद्देश्य पटना के जयप्रकाश नारायण अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर बढ़ते यात्री दबाव को कम करना है, क्योंकि वहां विस्तार की कोई गुंजाइश नहीं है।

अब तक:

  • 108 एकड़ भूमि AAI को सौंपी जा चुकी है
  • 8.4 एकड़ अतिरिक्त भूमि का हस्तांतरण प्रक्रिया में है
  • कुल 1413 करोड़ रुपये की लागत से तैयार हो रहा यह हवाई अड्डा 2027 तक पूरा होने की उम्मीद है।
  • इसकी वार्षिक यात्री क्षमता 50 लाख होगी।

सरकारी निर्णय की प्रतीक्षा

फिलहाल, जिला प्रशासन ने दोनों संभावित दिशाओं में सर्वेक्षण रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंप दी है। अंतिम निर्णय बिहार सरकार की कैबिनेट बैठक में मंजूरी के बाद लिया जाएगा।