पटना – बिहार में अफीम और भांग की अवैध खेती पर सरकार और सुरक्षा एजेंसियों ने अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया है। बिहार पुलिस और केंद्रीय सुरक्षा बलों द्वारा चलाए गए संयुक्त अभियान में करीब 800 एकड़ भूमि में फैली फसलों को नष्ट कर दिया गया। यह पूरा ऑपरेशन ड्रोन और सैटेलाइट इमेजिंग की मदद से चिन्हित क्षेत्रों में चलाया गया, जिससे अवैध खेती की सटीक पहचान हो सकी।
क्या है इस ऑपरेशन की खास बातें?
- 790.5 एकड़ में अफीम और 21.54 एकड़ में भांग की खेती नष्ट की गई।
- अब तक 146 प्राथमिकी (FIR) दर्ज की जा चुकी हैं।
- आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए लगातार छापेमारी जारी है।
- ऑपरेशन का फोकस नक्सल प्रभावित और दुर्गम इलाकों पर रहा।
कहां हुई सबसे ज्यादा कार्रवाई?
इस अभियान में गया जिले के चकरबंधा और धनगई के जंगलों के साथ-साथ औरंगाबाद के सीमावर्ती इलाकों को फोकस पॉइंट बनाया गया। यहां बिहार पुलिस और नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) ने मिलकर बड़ी मात्रा में अफीम की फसल को नष्ट किया।
नक्सल प्रभाव में गिरावट, अब खुली कार्रवाई संभव
राज्य सरकार के मुताबिक, उत्तर बिहार को पहले ही नक्सल मुक्त घोषित किया जा चुका है। अब दक्षिण बिहार और झारखंड सीमा से सटे इलाकों पर जोर दिया जा रहा है। नक्सल प्रभाव कम होने से इन इलाकों में पुलिस और सुरक्षा बलों की नियमित गश्त और सघन निगरानी संभव हो पाई है, जिससे यह अभियान सफल हो सका।
जनता का सहयोग बना अभियान की ताकत
इस ऑपरेशन में स्थानीय लोगों का सहयोग अहम रहा। कई स्थानों पर स्थानीय नागरिकों ने पुलिस को अवैध खेती की जानकारी दी, जिससे समय रहते कार्रवाई की जा सकी। पुलिस का दावा है कि आने वाले समय में झारखंड से सटे जंगलों से नक्सलवाद और अफीम की खेती दोनों का सफाया कर दिया जाएगा।
निष्कर्ष:
बिहार सरकार और सुरक्षा एजेंसियों की यह कार्रवाई दिखाती है कि अब राज्य अवैध नशा व्यापार और नक्सलवाद दोनों पर एक साथ कड़ा प्रहार कर रहा है। ड्रोन और टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल ने इस अभियान को और अधिक प्रभावी बनाया है। अगर यही रफ्तार रही, तो जल्द ही बिहार को अफीम मुक्त राज्य घोषित किया जा सकता है।
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