Voice Of Bihar से जुड़े रहने के लिए धन्यवाद
WhatsApp
Home Local YouTube Instagram
IMG 5094

पटना – भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय को पटना हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। कोर्ट ने वर्ष 2018 में दिए गए कथित भड़काऊ भाषण के मामले में अररिया के मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी (CJM) द्वारा लिए गए संज्ञान आदेश को निरस्त कर दिया है।

यह फैसला न्यायमूर्ति चंद्र शेखर झा की एकल पीठ ने सुनाया। कोर्ट ने 15 पन्नों के विस्तृत आदेश में स्पष्ट किया कि अभियोजन द्वारा लगाए गए आरोपों में भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 153A और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम (RP Act) की धारा 125 के तहत कोई ठोस आधार नहीं पाया गया। इसी के चलते संज्ञान आदेश और आरोप पत्र दोनों को खारिज कर दिया गया।

📌 मामला क्या था?

यह मामला 9 मार्च 2018 को बिहार के अररिया जिले के नरपतगंज थाना कांड संख्या 129/2018 से जुड़ा है। आरोप था कि नित्यानंद राय ने नरपतगंज हाई स्कूल में एक चुनावी सभा के दौरान ऐसा भाषण दिया जो धार्मिक भावनाओं को भड़काने वाला और आचार संहिता का उल्लंघन माना गया।

अंचलाधिकारी (CO) की लिखित शिकायत के आधार पर प्राथमिकी दर्ज की गई थी, जिसमें कहा गया था कि नित्यानंद राय ने कहा था,

“अगर विपक्षी उम्मीदवार जीत गया, तो अररिया आईएसआईएस का अड्डा बन जाएगा।”

इस बयान को लेकर नफरत फैलाने वाला भाषण बताया गया और पुलिस जांच के बाद आरोप पत्र दायर किया गया।

🧑‍⚖️ कोर्ट में क्या कहा गया?

नित्यानंद राय के अधिवक्ता नरेश दीक्षित ने दलील दी कि:

  • पूरा मामला राजनीतिक द्वेष से प्रेरित है।
  • भाषण में किसी धर्म, जाति या समुदाय का जिक्र नहीं किया गया।
  • आईएसआईएस एक अंतरराष्ट्रीय आतंकी संगठन है, और उस संदर्भ में दिया गया बयान देशद्रोह या सांप्रदायिकता से नहीं जोड़ा जा सकता।
  • प्राथमिकी किसी प्रत्याशी ने नहीं, बल्कि एक सरकारी अधिकारी द्वारा दर्ज कराई गई थी।

कोर्ट ने माना कि आरोपों में प्रथम दृष्टया कोई आपराधिक तत्व नहीं है। साथ ही यह भी कहा गया कि राजनीतिक मतभेदों के आधार पर आपराधिक कार्यवाही चलाना न्यायसंगत नहीं है।

🗳️ राजनीतिक मायने

यह फैसला ऐसे समय आया है जब बिहार में 2025 विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी सरगर्मी तेज है। नित्यानंद राय भाजपा के एक प्रमुख ओबीसी चेहरा हैं और पार्टी की रणनीतिक टीम का अहम हिस्सा माने जाते हैं।

हाईकोर्ट के इस फैसले से उन्हें न केवल कानूनी राहत मिली है, बल्कि भाजपा को भी चुनावी माहौल में एक राजनीतिक बढ़त मिल सकती है।

WhatsApp Channel VOB का चैनल JOIN करें
ऐप में पढ़ें