पटना, 7 जून 2025:
बिहार विधान परिषद से एक चौंकाने वाली साइबर सुरक्षा चूक की खबर सामने आई है। परिषद के सभापति अवधेश नारायण सिंह के चेंबर में लगे कंप्यूटर से महत्वपूर्ण डाटा डिलीट कर दिए जाने की पुष्टि हुई है। इस घटना की जानकारी मिलते ही सभापति ने मामले को आर्थिक अपराध इकाई (EOU) की साइबर यूनिट के संज्ञान में दिया, जिसके बाद तुरंत कार्रवाई शुरू कर दी गई।
डाटा डिलीट की पुष्टि, हार्ड डिस्क जब्त
EOU की साइबर यूनिट की टीम ने विधान परिषद पहुंचकर सभापति के चेंबर के कंप्यूटर की गहन जांच की। जांच में यह स्पष्ट हो गया कि कंप्यूटर से जानबूझकर डाटा मिटाया गया है। इसके बाद कंप्यूटर की हार्ड डिस्क जब्त कर ली गई और विधान परिषद के डेटा रूम को सील कर दिया गया है।
प्रश्नों के घेरे में बर्खास्त कर्मचारी का नाम
मामले में एक नया मोड़ तब आया जब यह जानकारी सामने आई कि राजद विधायक रीतलाल यादव के एक रिश्तेदार प्रतीक को चार दिन पहले परिषद से हटाया गया था। प्रतीक की बर्खास्तगी के बाद ही डाटा डिलीट होने की घटना सामने आई, जिससे इस साइबर छेड़छाड़ को साजिश के तहत जोड़कर देखा जा रहा है।
EOU कर रही गहराई से जांच, सामने आ सकती है बड़ी साजिश
EOU की साइबर यूनिट अब यह जानने में जुटी है कि:
- डाटा डिलीट करने का मकसद क्या था?
- क्या यह व्यक्तिगत रंजिश, राजनीतिक हस्तक्षेप या सुनियोजित साजिश का हिस्सा है?
- क्या इसमें अंदरूनी सहयोग शामिल था?
डाटा रिकवरी और फॉरेंसिक जांच से इस बात का खुलासा होने की उम्मीद है कि कब, कैसे और किसने यह डाटा डिलीट किया।
साइबर सुरक्षा पर उठे सवाल
यह घटना बिहार विधान परिषद जैसी संवेदनशील संस्था में साइबर सुरक्षा की बड़ी चूक को उजागर करती है। सरकारी डेटा की सुरक्षा को लेकर नए सिरे से सतर्कता बरतने की आवश्यकता महसूस की जा रही है।
सभापति की मांग: दोषियों पर हो सख्त कार्रवाई
सभापति अवधेश नारायण सिंह ने इस पूरे घटनाक्रम पर कड़ी नाराजगी जताते हुए कहा कि यह गंभीर लापरवाही और साजिश का संकेत है। उन्होंने EOU से मांग की है कि मामले की गहराई से जांच की जाए और दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई सुनिश्चित की जाए।
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