
भागलपुर। जिले में सिंगल स्क्रीन सिनेमा का एक युग सोमवार को समाप्त हो गया। आदमपुर स्थित दीपप्रभा टॉकीज ने 30 जून को अंतिम बार परदा उठाया। सिनेमा प्रेमियों के लिए यह एक भावनात्मक क्षण था, जब लोकप्रिय भोजपुरी अभिनेता खेसारी लाल यादव की फिल्म ‘आतंकवादी’ के साथ इस ऐतिहासिक सिनेमाघर का पर्दा हमेशा के लिए गिर गया।
दीपप्रभा टॉकीज की स्थापना वर्ष 1991 में हुई थी और यह भागलपुर के अंतिम सक्रिय सिंगल स्क्रीन सिनेमा के रूप में विख्यात था। इसके पहले शो में अविनाश वधावन, शाहीन और अनुपम खेर अभिनीत फिल्म ‘आई मिलन की रात’ दिखाई गई थी। सिनेमा हाल ने सलमान खान की ‘हम आपके हैं कौन’ जैसी सुपरहिट फिल्मों की रिकॉर्डतोड़ स्क्रीनिंग भी देखी — यह फिल्म यहां लगभग 20 सप्ताह तक चली थी।
दीपप्रभा टॉकीज के मैनेजर ललन प्रसाद सिंह और जनक सिंह ने बताया कि सिनेमाघर को बंद करने का निर्णय भावनात्मक रूप से बेहद कठिन रहा। वर्षों से यहां काम करने वाले करीब 15 कर्मचारी इस फैसले से दुखी हैं।
भागलपुर जिले में एक दौर ऐसा भी था जब 15 से अधिक सिंगल स्क्रीन सिनेमा हॉल संचालित थे। इनमें प्रमुख थे — मधु लक्ष्मी सिनेमा, पिक्चर पैलेस, जवाहर टॉकीज, अजंता सिनेमा, शंकर टॉकीज, महादेव टॉकीज, शारदा टॉकीज और दीपप्रभा टॉकीज। जिले के अन्य हिस्सों जैसे सबौर, कहलगांव, सुल्तानगंज और नवगछिया में भी कई लोकप्रिय सिनेमाघर सक्रिय थे।
कथाकार रंजन कुमार ने भागलपुर के सिनेमाई इतिहास को याद करते हुए बताया कि जिले में सबसे पहले 1949 में मधु लक्ष्मी सिनेमा हॉल खुला था। बाद में इसका स्थानांतरण खलीफाबाग चौक स्थित पिक्चर पैलेस में हुआ। उन्होंने बताया कि त्योहारों के मौसम में “मैट्रिमोनियल शो” के नाम पर विशेष टिकटों की बिक्री होती थी और दूरदराज के ग्रामीण क्षेत्र से लोग बैलगाड़ियों पर बैठकर फिल्में देखने भागलपुर आते थे।
रंजन कुमार मानते हैं कि दीपप्रभा टॉकीज का बंद होना केवल एक सिनेमाघर का अंत नहीं है, बल्कि शहर के सांस्कृतिक जीवन में एक युग का अवसान है। मल्टीप्लेक्स संस्कृति के बढ़ते प्रभाव ने परंपरागत सिनेमा हॉल के अस्तित्व को धीरे-धीरे समाप्त कर दिया है।