कटिहार/उत्तर प्रदेश, 21 जून 2025:गरीबी और लापरवाह स्वास्थ्य व्यवस्था की एक और दर्दनाक तस्वीर सामने आई है। बिहार के कटिहार जिले की पांच वर्षीय मासूम अमरीन की इलाज नहीं मिलने के कारण मौत हो गई। आरोप है कि एक निजी मेडिकल कॉलेज अस्पताल ने इलाज शुरू करने से पहले 20 हजार रुपये जमा कराने की शर्त रखी, और जब परिजनों ने असमर्थता जताई, तो बच्ची को सरकारी अस्पताल भेज दिया गया। समय पर इलाज न मिलने से मासूम ने दम तोड़ दिया।
घटना शुक्रवार देर रात उत्तर प्रदेश के कोतवाली थाना क्षेत्र स्थित राष्ट्रीय राजमार्ग 9 के पास की है। जगतपुर, कटिहार (बिहार) निवासी अनवर, जो उक्त निजी मेडिकल कॉलेज में मजदूरी का कार्य करता है, वहीं अपने परिवार के साथ परिसर में रहता है।
अनवर के अनुसार, शुक्रवार रात अमरीन को अचानक उल्टियां होने लगीं। वह तुरंत उसे मेडिकल कॉलेज अस्पताल लेकर पहुंचे, लेकिन चिकित्सकों ने इलाज शुरू करने से पहले 20 हजार रुपये जमा करने को कहा। जब अनवर ने कहा कि उनके पास पैसे नहीं हैं और उन्होंने जान बचाने की गुहार लगाई, तो डॉक्टरों ने बच्ची को सरकारी अस्पताल ले जाने की सलाह दी।
सरकारी अस्पताल में भी हालत नहीं सुधरी, तो परिवार फिर से बच्ची को उसी निजी अस्पताल लेकर लौटा, लेकिन वहां से दोबारा रेफर कर दिया गया। इस दौरान अमरीन को सही समय पर इलाज नहीं मिल सका और रात में ही उसकी मौत हो गई।
शनिवार सुबह परिजनों ने पुलिस को सूचना दी। कोतवाली पुलिस मौके पर पहुंची और पूछताछ की, लेकिन परिवार ने किसी तरह की कार्रवाई से इनकार कर दिया और मासूम का शव लेकर कटिहार स्थित अपने गांव रवाना हो गया।
यह घटना एक बार फिर देश की स्वास्थ्य व्यवस्था और निजी अस्पतालों की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े करती है। पैसे के अभाव में एक मासूम की मौत और ज़िम्मेदारी से पल्ला झाड़ते चिकित्सा संस्थानों की चुप्पी एक सामूहिक नैतिक विफलता का प्रमाण है।
