भागलपुर | 19 जून 2025:बिहार के भागलपुर जिले में सरकारी तंत्र की संवेदनहीनता और भ्रष्टाचार का एक और मामला सामने आया है। जगदीशपुर प्रखंड कार्यालय के अधिकारियों पर विस्थापित परिवारों से जमीन के बदले रिश्वत मांगने का गंभीर आरोप लगा है। यह आरोप तब सामने आया है जब खुद मुख्यमंत्री ने इन विस्थापितों को पुनर्वास देने का स्पष्ट निर्देश दिया था।
सूत्रों के अनुसार, विस्थापितों को बसाने को लेकर मुख्यमंत्री के निर्देश के आलोक में जिलाधिकारी ने जगदीशपुर अंचलाधिकारी को आदेश दिया था, लेकिन स्थानीय स्तर पर इन आदेशों की खुलकर अवहेलना हो रही है। अंचल कार्यालय के कुछ अधिकारी और कर्मचारी कथित रूप से पीड़ित परिवारों से ₹15,000 से ₹20,000 तक की रिश्वत मांग रहे हैं।
🔹 विस्थापितों ने सुनाई पीड़ा
विस्थापित परिवार भाजपा झुग्गी-झोपड़ी संघर्ष समिति के अध्यक्ष शंकर प्रसाद गुप्ता के पास पहुंचे और अपनी समस्याएं साझा कीं।
शंकर गुप्ता ने कहा, “यह बेहद शर्मनाक है कि जो परिवार दो वक्त की रोटी के लिए जूझ रहे हैं, उनसे घर के बदले पैसे मांगे जा रहे हैं। अगर 10 दिनों के भीतर इनकी समस्या का हल नहीं हुआ, तो समिति जगदीशपुर अंचल कार्यालय का घेराव करेगी।”
एक विस्थापित महिला ने रोते हुए बताया, “हमें घर देने के नाम पर कर्मचारी पैसे मांगते हैं, और कभी-कभी घर पर भी बुलाते हैं। हम तो दूसरों के घरों में चौका-बर्तन कर के पेट पालते हैं, इतने पैसे कहां से लाएं?”
🔹 प्रशासन की चुप्पी पर सवाल
इस पूरे मामले ने स्थानीय प्रशासन की भूमिका पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। मुख्यमंत्री और जिलाधिकारी के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद, ज़मीनी स्तर पर आदेशों की अनदेखी हो रही है। ऐसे में यह देखना अहम होगा कि जिला प्रशासन इस पर क्या संज्ञान लेता है और क्या इन गरीब परिवारों को जल्द राहत मिल पाएगी।
यदि यह आरोप सही साबित होते हैं, तो यह सिर्फ भ्रष्टाचार नहीं बल्कि प्रशासनिक संवेदनहीनता का जीवंत उदाहरण होगा। ऐसे में ज़िम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ त्वरित कार्रवाई की मांग उठना स्वाभाविक है।
