IMG 4231
WhatsApp Channel VOB का चैनल JOIN करें

नई दिल्ली: ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान के सैन्य ठिकानों पर सटीक हमले कर भारत की ब्रह्मोस मिसाइल ने वैश्विक रक्षा जगत में तहलका मचा दिया है। नूर खान एयरबेस समेत कई अहम ठिकानों को ध्वस्त करने के बाद अब ब्रह्मोस मिसाइल दुनियाभर के रक्षा विशेषज्ञों और देशों की नजरों में ‘गेम-चेंजर’ बन चुकी है।

पाकिस्तान की वायु रक्षा प्रणाली हुई फेल

ऑपरेशन सिंदूर के तहत हुए हमलों में ब्रह्मोस की सटीकता और रफ्तार के सामने पाकिस्तान की वायु रक्षा प्रणाली पूरी तरह नाकाम रही। महज 86 घंटों में पाकिस्तान को घुटने टेकने पर मजबूर कर देने वाली इस मिसाइल की फायर एंड फॉरगेट क्षमता और सुपरसोनिक स्पीड ने वैश्विक मंच पर इसकी धाक जमा दी है।

चीन के विरोधी देश बना रहे रणनीति

इस हमले के बाद चीन के रणनीतिक विरोधी देश — फिलीपींस, इंडोनेशिया, और वियतनाम — ब्रह्मोस मिसाइल को अपनी सैन्य ताकत में शामिल करने की दिशा में तेज़ी से कदम बढ़ा रहे हैं। अब तक करीब 17 देशों ने इस मिसाइल को खरीदने में रुचि दिखाई है।

  • फिलीपींस: पहले ही 375 मिलियन डॉलर (करीब 4000 करोड़ रुपये) के सौदे में तीन बैटरियों की डिलीवरी प्राप्त कर चुका है। दूसरी खेप अप्रैल 2025 में मिली।
  • इंडोनेशिया: 450 मिलियन डॉलर के संभावित सौदे की दिशा में बातचीत।
  • वियतनाम: 700 मिलियन डॉलर का संभावित सौदा।

ब्रह्मोस: दुनिया की सबसे तेज सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल

ब्रह्मोस मिसाइल की प्रमुख विशेषताएं इसे विशिष्ट बनाती हैं:

  • गति: मैक 2.8–3.0 (सुपरसोनिक)
  • रेंज: 290 किमी से बढ़ाकर अब 450–800 किमी, भविष्य में 1500 किमी तक विस्तार की योजना
  • लॉन्च प्लेटफॉर्म: ज़मीन, समुद्र, पनडुब्बी और सुखोई Su-30MKI जैसे विमान
  • टेक्नोलॉजी: कम ऊंचाई पर उड़ान, रडार से बचाव क्षमता, सटीक निशाना साधने की क्षमता

दक्षिण चीन सागर में बनेगा गेम-चेंजर

दक्षिण-पूर्व एशिया के देश खासकर वियतनाम और इंडोनेशिया, ब्रह्मोस को चीन की बढ़ती आक्रामकता के खिलाफ एक रणनीतिक हथियार के रूप में देख रहे हैं। वहीं, मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका के कुछ देश भी इसके हवाई संस्करण में दिलचस्पी दिखा रहे हैं, खासकर वे जो Su-30 जैसे फाइटर जेट का संचालन करते हैं।

भारत का रक्षा निर्यात लक्ष्य: 5 बिलियन डॉलर

भारत का लक्ष्य 2025 तक 5 अरब डॉलर के रक्षा निर्यात को हासिल करना है, जिसमें ब्रह्मोस की प्रमुख भूमिका होगी। लखनऊ में हाल ही में 200 एकड़ में शुरू हुई ब्रह्मोस उत्पादन इकाई इस लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में एक बड़ा कदम मानी जा रही है।