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– आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत उद्योग विभाग की बड़ी पहल

– कृषि, वस्त्र, शिल्प, व्यापार और उद्यम से जुड़े प्रमुख उत्पादों की होगी पहचान
– वैश्विक पहचान दिलाने के लिए 10 दिनों में तैयार की जाएगी विस्तृत रिपोर्ट


पटना, 4 जुलाई 2025।बिहार सरकार अब राज्य के हर प्रखंड को उसकी विशेष पहचान दिलाने की दिशा में गंभीर कदम उठा रही है। उद्योग विभाग ने “एक प्रखंड, एक उत्पाद” योजना के तहत हर क्षेत्र के विशिष्ट उत्पादों को चिन्हित कर उन्हें राष्ट्रीय और वैश्विक मंच पर पहचान दिलाने की पहल शुरू की है।

इस दिशा में विभाग द्वारा सभी जिलों के महाप्रबंधकों को 10 दिनों के भीतर रिपोर्ट तैयार कर भेजने के निर्देश दिए गए हैं। इस रिपोर्ट में कृषि आधारित उत्पाद, वस्त्र एवं चर्म उद्योग, कला एवं शिल्प, स्थानीय व्यापार और लघु उद्यमों से जुड़े ऐसे उत्पादों की सूची मांगी गई है, जो प्रखंड की खास पहचान बन सकते हैं


प्रखंडों की शक्ति को पहचानने की योजना

राज्य सरकार का मानना है कि हर प्रखंड में कोई न कोई विशिष्टता मौजूद है। इन्हीं विशेषताओं को आधार बनाकर:

  • स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा मिलेगा
  • रोजगार सृजन के नए अवसर पैदा होंगे
  • स्थानीय से वैश्विक बाजार तक पहुंच बनाने में सहायता मिलेगी
  • आत्मनिर्भर भारत अभियान को जिला स्तर पर मजबूती मिलेगी

‘एक जिला, एक उत्पाद’ की तर्ज पर बिहार में ‘एक प्रखंड, एक उत्पाद’

इस योजना को भारत सरकार के ‘ODOP’ (One District One Product) की सोच से प्रेरित माना जा रहा है। लेकिन बिहार सरकार इसे और ज़मीनी स्तर पर लागू करने जा रही है। हर जिले के प्रत्येक प्रखंड से एक खास उत्पाद का चयन कर संगठित विकास, ब्रांडिंग और विपणन की दिशा में ठोस कार्य किया जाएगा।


उद्योग मंत्री नीतीश मिश्रा ने क्या कहा?

“हर जिले की एक विशिष्ट पहचान होती है और अब हम हर प्रखंड की ताकत को सामने लाना चाहते हैं। बिहार के कोने-कोने में कई ऐसे उत्पाद और परंपराएं हैं जो राष्ट्रीय स्तर तक पहुंचने की क्षमता रखते हैं। यह योजना उन्हें एक नई उड़ान देने का माध्यम बनेगी।”


आगे की कार्य योजना

  • 10 दिनों में सभी जिलों से प्रखंडवार सूची आएगी
  • इसके बाद विस्तृत कार्य योजना तैयार की जाएगी
  • चयनित उत्पादों की ब्रांडिंग, पैकेजिंग, विपणन और निर्यात को लेकर समर्थन दिया जाएगा
  • जरूरत पड़ने पर GI टैग और केंद्र सरकार की ODOP स्कीम से जोड़ा जाएगा

यह योजना न केवल ग्रामीण उद्यमिता को बढ़ावा देगी, बल्कि बिहार के हर कोने को उसके उत्पाद के जरिए नई पहचान भी देगी। आने वाले समय में राज्य के प्रखंड अपने उत्पादों के लिए पहचाने जाएंगे – यही इस योजना की सबसे बड़ी सफलता होगी।