
पटना, 16 मई 2025।बिहार सरकार के विज्ञान, प्रौद्योगिकी और तकनीकी शिक्षा विभाग के तत्वावधान में आज एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई, जिसमें राज्य की सांस्कृतिक धरोहरों के संरक्षण और प्रचार-प्रसार की दिशा में रणनीति तय की गई। बैठक का मुख्य केंद्र बिंदु था — “हेरिटेज हेराल्ड: भू-स्थानिक मंच आधारित सांस्कृतिक धरोहर प्रबंधन परियोजना”, जिसे अमृता विश्व विद्यापीठम, केरल की प्रो वाइस चांसलर डॉ. मनीषा विनोदिनी रमेश ने प्रस्तुत किया।
इस परियोजना का उद्देश्य तकनीक आधारित दृष्टिकोण अपनाकर बिहार के ग्रामीण सांस्कृतिक धरोहर स्थलों का सटीक दस्तावेजीकरण, प्रचार और प्रस्तुतीकरण करना है। साथ ही यह पहल वैज्ञानिक, सामाजिक और आर्थिक पहलुओं को जोड़कर दीर्घकालिक संरक्षण सुनिश्चित करने का प्रयास करती है।
बैठक में कई प्रमुख अधिकारियों की भागीदारी रही, जिनमें पर्यटन विभाग, कला संस्कृति विभाग और अमृता विश्वविद्यालय की टीम शामिल रही। विशेष सचिव श्री उदयन मिश्रा ने पर्यटन विभाग की ओर से इस परियोजना को पूर्ण समर्थन देने की बात कही।
परियोजना के संभावित प्रभाव:
- स्मार्ट नेचुरल हेरिटेज विलेज की अवधारणा के तहत ग्राम धरोहर को इंटरएक्टिव प्लेटफॉर्म पर प्रस्तुत करना।
- युवाओं को सांस्कृतिक विरासत से जोड़ना और संरक्षण विज्ञान को बढ़ावा देना।
- स्थानीय समुदायों के सामाजिक और आर्थिक सशक्तिकरण को गति देना।
- ग्रामीण सांस्कृतिक पर्यटन को प्रोत्साहन देकर रोजगार के अवसर बढ़ाना।
परियोजना के अंतर्गत प्रमुख पहलें:
- एक समग्र Cultural Experience Management System (CEM) का निर्माण
- वेब और मोबाइल पोर्टल का विकास
- बिहार के चुनिंदा गाँवों में इस प्रणाली का कार्यान्वयन
बैठक का निष्कर्ष:
श्री अहमद महमूद ने तकनीकी नवाचारों की भूमिका को रेखांकित करते हुए बिहार की सांस्कृतिक पहचान को सुरक्षित रखने की दिशा में इस प्रयास की सराहना की। बैठक सकारात्मक और सहयोगात्मक माहौल में संपन्न हुई, जिसमें सभी प्रतिभागियों ने ‘हेरिटेज हेराल्ड’ परियोजना को सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण और संवर्धन के लिए एक परिवर्तनकारी पहल माना।