पटना, 26 जुलाई 2025: भारत में पहली बार किसी पासपोर्ट सेवा केंद्र (PSK) ने अपने परिसर को लोक कलाकारों के लिए मंच के रूप में इस्तेमाल करने की अभिनव पहल की है। पटना स्थित पाटलिपुत्र पासपोर्ट सेवा केंद्र (PSK) ने भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (ICCR) के पटना स्थित क्षेत्रीय कार्यालय के सहयोग से एक अनूठी लोक कला प्रदर्शनी ‘सह-लोका’ का आयोजन किया है।
प्रदर्शनी की अवधारणा और अवधि
25 जुलाई से 15 अगस्त 2025 तक चलने वाली यह प्रदर्शनी प्रतिदिन सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक खुली रहेगी। इसका उद्देश्य है – लोक कला परंपराओं को न केवल संरक्षित करना, बल्कि उन्हें नई पीढ़ी और शहरी दर्शकों तक पहुंचाना।
इस पहल का सीधा लाभ प्रतिदिन PSK आने वाले 1500 से अधिक पासपोर्ट आवेदकों को मिलेगा, जो प्रतीक्षा के दौरान बिहार की समृद्ध लोक कला परंपराओं को करीब से देख और समझ सकेंगे।
‘सह-लोका’ क्या है?
‘सह-लोका’ का आशय है – लोक समाज की सामूहिक अनुभूतियों की सांस्कृतिक प्रस्तुति। यह प्रदर्शनी मिथिला, गोदना, मंजूषा और टिकुली जैसी परंपरागत लोककलाओं के माध्यम से सामाजिक भावनाओं, प्रतीकों, विश्वासों और जीवन-दृष्टि को चित्रित करती है।
प्रदर्शनी में दर्शाए गए चित्रों का संयोजन ICCR पटना की ‘क्षितिज श्रृंखला’ के अंतर्गत श्री सुनील कुमार और Folkartopedia Foundation की टीम द्वारा किया गया है।
प्रदर्शनी का उद्घाटन
इस प्रदर्शनी का उद्घाटन भव्य रूप से किया गया। मुख्य अतिथि रहीं:
- श्रीमती शांति देवी, प्रसिद्ध मिथिला कलाकार एवं पद्मश्री सम्मानित
विशिष्ट अतिथियों में शामिल थे:
- कर्नल राहुल शर्मा, निदेशक, NIFT पटना
- श्रीमती स्वधा रिज़वी, क्षेत्रीय निदेशक, ICCR पटना
- क्षेत्रीय पासपोर्ट अधिकारी, पटना
- बिहार के अनेक प्रतिष्ठित कलाकार एवं कला-संस्थाओं के प्रतिनिधि
प्रदर्शनी में भाग लेने वाले प्रमुख कलाकार
| क्रम | कलाकार का नाम | चित्रकला शैली |
|---|---|---|
| 01 | श्रीमती शांति देवी | मिथिला पेंटिंग (पद्म श्री) |
| 02 | श्री शिवन पसावन | मिथिला पेंटिंग (पद्म श्री) |
| 03 | श्रीमती दुलारी देवी | मिथिला पेंटिंग (पद्म श्री) |
| 04 | श्री अशोक कुमार बिस्वास | टिकुली पेंटिंग (पद्म श्री) |
| 05 | श्रीमती उर्मिला देवी | गोदना पेंटिंग (नेशनल मेरिट) |
| 06 | मनोज पंडित | मंजूषा पेंटिंग |
| 07 | पवन सगेर | मंजूषा पेंटिंग |
| 08 | खुशबू कुमारी | टिकुली पेंटिंग |
| 09 | शुभम् कुमार | टिकुली पेंटिंग |
लोक कला और प्रशासन का मिलन: एक नई पहल
यह पहली बार है जब किसी प्रशासनिक सेवा केंद्र – जैसे पासपोर्ट सेवा केंद्र – को लोक कलाकारों के प्रदर्शन मंच में बदला गया है। यह पहल बिहार की सांस्कृतिक पहचान को शहरी जीवन में स्थापित करने का एक प्रशंसनीय प्रयास है।
प्रदर्शनी का उद्देश्य:
- लोक कलाकारों को मंच देना
- बिहार की पारंपरिक कलाओं का प्रचार
- पासपोर्ट सेवा में सांस्कृतिक अनुभव जोड़ना
प्रवेश कैसे प्राप्त करें?
प्रदर्शनी वैध पासपोर्ट अपॉइंटमेंट धारकों के लिए स्वतः सुलभ है। लेकिन आम दर्शक भी एक दिन पूर्व निम्न ईमेल पते पर लिखकर अनुमति प्राप्त कर सकते हैं:
📧 sunilkumar@folkartopedia.com
📧 rpo.patna@mea.gov.in
निष्कर्ष
‘सह-लोका’ न केवल एक चित्रकला प्रदर्शनी है, बल्कि यह प्रशासन और संस्कृति के समन्वय का एक दुर्लभ उदाहरण है। ऐसे समय में जब सरकारी कार्यालयों को प्रायः औपचारिक माना जाता है, पटना का यह पासपोर्ट सेवा केंद्र एक संवेदनशील और सांस्कृतिक लोक अनुभव का आदर्श बना है।


