
सुपौल: बिहार के सुपौल जिले में प्रशासन ने कड़ा कदम उठाते हुए राजस्व कार्यों को ठप करने वाले 60 कर्मचारियों को सस्पेंड कर दिया है। जिलाधिकारी कौशल कुमार ने यह कार्रवाई 7 मई 2025 से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर गए कर्मचारियों के खिलाफ की है। ये सभी कर्मचारी बिहार राज्य भूमि सुधार कर्मचारी संघ के आह्वान पर हड़ताल कर रहे थे, जिससे जिले के 11 अंचलों में राजस्व कार्य प्रभावित हो गए थे।
क्यों हुआ सस्पेंशन?
जिलाधिकारी कौशल कुमार ने इसे अनुशासनहीनता मानते हुए कहा कि प्रशासनिक आदेशों की अवहेलना किसी भी स्थिति में स्वीकार नहीं की जाएगी।
10 मई को समाहरणालय के लहटन चौधरी सभागार में बातचीत के लिए बुलाने के बावजूद कोई भी कर्मचारी उपस्थित नहीं हुआ। इसके बाद शाम 5 बजे तक उपस्थिति दर्ज कराने का अंतिम मौका दिया गया, जिसे भी कर्मचारियों ने नजरअंदाज कर दिया।
किन अंचलों के कर्मचारी हुए निलंबित?
सस्पेंड किए गए 60 कर्मचारियों में सभी 11 अंचलों से कर्मचारी शामिल हैं:
- सुपौल अंचल – 12 कर्मचारी
- त्रिवेणीगंज – 8 कर्मचारी
- किशनपुर – 7 कर्मचारी
- छातापुर – 6 कर्मचारी
- राघोपुर – 5 कर्मचारी
- पिपरा – 5 कर्मचारी
- सरायगढ़-भपटियाही – 4 कर्मचारी
- बसंतपुर – 4 कर्मचारी
- मरौना – 4 कर्मचारी
- प्रतापगंज – 3 कर्मचारी
- निर्मली – 2 कर्मचारी
डीएम का सख्त संदेश
डीएम कौशल कुमार ने स्पष्ट कहा कि “प्रशासन का कार्य जनता की सेवा करना है, और इसे बाधित करने की अनुमति किसी को नहीं दी जा सकती।” उन्होंने चेतावनी दी कि यदि भविष्य में कोई कर्मचारी मनमाने ढंग से हड़ताल करता है या प्रशासनिक कार्य में बाधा डालता है, तो उस पर और भी कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
पृष्ठभूमि में क्या है?
मार्च 2025 में भी कर्मचारियों ने 11 दिनों तक धरना-प्रदर्शन किया था। मांगें पूरी न होने पर मई में फिर हड़ताल शुरू हुई, जिससे सुपौल, त्रिवेणीगंज, किशनपुर सहित कई इलाकों में राजस्व सेवाएं ठप हो गईं। इससे आम जनता को भूमि संबंधी कार्यों में भारी परेशानी का सामना करना पड़ा।
क्या बदलेगा कुछ?
इस निलंबन के बाद जिले के प्रशासनिक हलकों में हड़कंप मच गया है। कर्मचारियों के बीच डर और चिंता का माहौल है। यह कार्रवाई एक सख्त संदेश भी है कि प्रशासन अब अनावश्यक हड़तालों और कामकाज में बाधा को बर्दाश्त नहीं करेगा।