‘जब भारत का उत्थान हो रहा है, तो कुछ लोगों को चोट लगना स्वाभाविक है”, बोले उपराष्ट्रपति धनखड़
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने रविवार को कहा कि देश में हताशा और निराशा के पुराने दौर की जगह अब आशा और संभावना का माहौल है तथा देश वैश्विक स्तर पर एक ताकत के रूप में उभरा है। उन्होंने दावा किया कि सीमाओं के भीतर और बाहर ऐसी ताकतें होंगी जो नहीं चाहेंगी कि भारत वैश्विक शक्ति के रूप में उभरे। उन्होंने कहा कि देश के युवाओं को अपने कदमों से ऐसी ताकतों को जवाब देना होगा।
‘कृष्णगुरु इंटरनेशनल स्पिरिचुअल यूथ सोसाइटी’ के एक सम्मेलन में धनखड़ ने कहा, ‘‘दस साल पहले, माहौल हताशा और निराशा का था। अब हम आशा और संभावना का माहौल देख रहे हैं। हमारे महापुरुषों और संतों के योगदान के कारण ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत आज वैश्विक स्तर पर एक शक्ति है।” उन्होंने कहा, ‘‘जब भारत का उत्थान हो रहा है, तो कुछ लोगों को चोट लगना स्वाभाविक है। कुछ लोग देश के भीतर हैं और कुछ बाहर…युवा इन लोगों को अपने अर्जित ज्ञान के माध्यम से जवाब देंगे और और इसका इस्तेमाल राष्ट्र के लिए करेंगे।”
उपराष्ट्रपति ने कहा कि देश की आध्यात्मिक शक्ति भारत के उत्थान के केंद्र में है। उन्होंने युवाओं से आध्यात्मिकता के मार्ग पर चलने और उसमें राष्ट्रवाद एवं आधुनिकता की भावना भरने का आह्वान किया। उन्होंने देश की आर्थिक वृद्धि का भी उल्लेख करते हुए कहा, ‘‘जब आप आध्यात्मिक जागृति के लिए प्रयास करते हैं, तो हमारे लिए एक और जागृति सामने आ रही है। यह भारत का क्रमिक और निरंतर उत्थान है।”
उपराष्ट्रपति ने कहा, ‘‘भारत को सदियों तक दबाया गया और अब वह मुक्त हो गया है…एक ऐसा पारिस्थितिकी तंत्र मौजूद है, जहां हर युवा अपनी क्षमता का पता लगा सकता है और आगे बढ़ सकता है।” धनखड़ ने कहा कि विशेष रूप से केंद्र की ‘एक्ट ईस्ट नीति’ पर ध्यान केंद्रित करने के माध्यम से पूर्वोत्तर क्षेत्र देश में हो रहे विकास का लाभ उठाने के लिए लाभप्रद स्थिति में है। उन्होंने कहा, ‘‘पूर्वोत्तर का परिवर्तन समावेशिता की भावना का प्रमाण है। दशकों से इस क्षेत्र को विकास से संबंधित चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा था। बहुत कुछ किया गया है और काम प्रगति पर है।”
Discover more from Voice Of Bihar
Subscribe to get the latest posts sent to your email.