
नई दिल्ली | 15 मई 2025: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत और पाकिस्तान के बीच हाल ही में हुए संघर्षविराम (सीजफायर) पर अपने पहले दावे से पलटते हुए कहा है कि उन्होंने दोनों देशों के बीच तनाव को कम करने में मदद की थी, लेकिन उन्होंने कोई मध्यस्थता नहीं की।
“मैंने सिर्फ मदद की, मध्यस्थता नहीं” – ट्रंप
कतर के दोहा में मीडिया से बात करते हुए ट्रंप ने कहा,
“मैं यह नहीं कह रहा कि मैंने सीजफायर कराया, लेकिन यह जरूर कहूंगा कि मैंने उस तनाव को सुलझाने में मदद की जो भारत और पाकिस्तान के बीच पिछले सप्ताह और भी अधिक खतरनाक होता जा रहा था।”
उन्होंने स्वीकार किया कि अगर हालात नहीं संभाले जाते तो दोनों देश मिसाइल हमलों की ओर बढ़ सकते थे।
ट्वीट कर दी थी सीजफायर की जानकारी
इससे पहले ट्रंप ने ट्वीट कर घोषणा की थी कि भारत और पाकिस्तान ने पूर्ण और तत्काल युद्धविराम पर सहमति जताई है। उन्होंने इसे दोनों देशों की समझदारी और श्रेष्ठ बुद्धिमत्ता करार दिया था और कहा था कि अमेरिका इस फैसले का स्वागत करता है।
ट्रंप ने यह भी दावा किया था कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान दोनों देशों को स्पष्ट संदेश दिया कि अगर वे युद्ध रोकते हैं तो अमेरिका व्यापार में मदद करेगा, अन्यथा कोई व्यापार नहीं होगा।
भारत में उठा राजनीतिक विवाद
ट्रंप के इस बयान के बाद भारत में राजनीतिक भूचाल आ गया। विपक्षी दलों, विशेषकर कांग्रेस, ने इसे भारत की विदेश नीति की विफलता बताते हुए सरकार से सवाल किया कि क्या अमेरिकी दबाव में भारत ने सीजफायर स्वीकार किया?
भारत सरकार का खंडन
भारत सरकार ने स्पष्ट किया कि ट्रंप के दावे गलत हैं।
विदेश मंत्रालय ने कहा कि 7 मई को शुरू हुए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ से लेकर 10 मई को सीजफायर तक भारत और अमेरिका के बीच किसी भी बातचीत में व्यापार का विषय नहीं उठा।
सरकार ने यह भी कहा कि सीजफायर का निर्णय भारत के संप्रभु निर्णय का हिस्सा था और किसी भी प्रकार का बाहरी दबाव इसमें शामिल नहीं था।