पटना,
बिहार सरकार की बहुप्रचारित मुख्यमंत्री उद्यमी योजना में अनियमितता की आशंका के बीच अब सरकार ने ऋण नहीं चुकाने वाले उद्यमियों पर सख्ती बरतनी शुरू कर दी है। उद्योग विभाग ने ऐसे 300 से अधिक लाभार्थियों को नोटिस जारी किया है, जबकि 50 से ज्यादा मामलों में सर्टिफिकेट केस दर्ज करने की प्रक्रिया आरंभ कर दी गई है।
17.94 करोड़ की वसूली का लक्ष्य
उद्योग विभाग के आंकड़ों के अनुसार, 400 उद्यमियों ने ऋण लेने के बाद अब तक एक भी किश्त नहीं चुकाई है। इनसे सरकार को करीब 17.94 करोड़ रुपये की वसूली करनी है। यह ऋण वर्ष 2018-19 और उसके बाद के वित्तीय वर्षों में वितरित किए गए थे। उद्यमियों को 84 किश्तों में सात वर्षों तक यह राशि लौटानी थी, लेकिन अधिकांश ने इसका पालन नहीं किया।
12% ब्याज दर पर वसूली, पीडीआर एक्ट के तहत कार्रवाई
सरकार अब इन बकायेदारों से 12 प्रतिशत ब्याज दर के साथ राशि वसूलने की तैयारी में है। इसके लिए Public Demand Recovery (PDR) अधिनियम के तहत भी कानूनी कार्रवाई की जाएगी। विभाग ने चेतावनी दी है कि अब वसूली के लिए घर-घर जाकर अभियान चलाया जाएगा।
योजना का उद्देश्य और लाभ
मुख्यमंत्री उद्यमी योजना के तहत ब्याज मुक्त ऋण और 50% अनुदान (सब्सिडी) की सुविधा दी जाती है। इसका उद्देश्य युवाओं और ग्रामीण उद्यमियों को स्वरोजगार के लिए प्रेरित करना है। योजना के तहत आईटी बिजनेस सेंटर, वेब सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट, रेडीमेड गारमेंट्स, फर्नीचर निर्माण और चमड़ा उद्योग जैसे लघु उद्योगों को बढ़ावा दिया जा रहा है।
उद्योग विभाग का बयान
स्नेहा, महाप्रबंधक, उद्योग विभाग (वैशाली) ने बताया:
“राज्य सरकार की योजना है कि योजनाओं का लाभ सही उद्यमियों को मिले और सरकारी राशि की समय पर वसूली हो। जो लाभार्थी नियमों की अवहेलना कर रहे हैं, उनके खिलाफ कड़ी विभागीय कार्रवाई की जा रही है।”
जिलों में मॉनिटरिंग कमिटी गठित
विभाग ने बकायेदारों की सूची तैयार करना शुरू कर दिया है। प्रत्येक जिले में मॉनिटरिंग कमिटी गठित की गई है ताकि स्थानीय स्तर पर निगरानी और वसूली के प्रयासों को तेज किया जा सके।