पटना: बिहार में 65% आरक्षण को लेकर एक बार फिर सियासी तापमान चढ़ गया है। इस बार नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को सीधी चुनौती दी है। उन्होंने कहा कि उन्होंने 65 फीसदी आरक्षण को संविधान की 9वीं अनुसूची में शामिल करने के लिए मुख्यमंत्री को पत्र लिखा था, लेकिन अब तक कोई जवाब नहीं मिला।
तेजस्वी यादव ने तंज कसते हुए कहा,
“क्या नीतीश कुमार ने मेरे पत्र का जवाब इसलिए नहीं दिया क्योंकि उनके पास कोई जवाब नहीं है? या फिर वो आदतन ऐसा करते हैं, या अफसर उन्हें पत्र दिखाते ही नहीं हैं?”
“सामाजिक न्याय की बात करने वाले आज चुप क्यों हैं?”
तेजस्वी यादव ने अपने बयान में एनडीए घटक दलों पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि जो दल खुद को पिछड़े, दलित और आदिवासियों के हितैषी बताते हैं और जिनके दम पर केंद्र में मोदी सरकार चल रही है, वही आज 65% आरक्षण को लेकर चुप हैं।
“हमारी सरकार ने जो 65% आरक्षण की व्यवस्था की थी, उसे संविधान की 9वीं अनुसूची में शामिल क्यों नहीं किया जा रहा? क्या चिराग पासवान, जीतन राम मांझी, उपेंद्र कुशवाहा और नीतीश कुमार जैसे नेता इस हकमारी पर कुछ बोलेंगे?”
तेजस्वी ने सीधे सवाल किया कि क्या ये नेता सिर्फ कुर्सी से चिपके रहने के लिए राजनीति कर रहे हैं, या समाज के वंचित तबके के हक की भी कोई चिंता है?
“अगर यह छोटी सी मांग पूरी नहीं करवा सकते, तो ऐसे गठबंधन में रहना धिक्कार है”
तेजस्वी यादव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर दबाव बनाते हुए कहा कि अगर ये लोग इस छोटी सी मांग को भी पूरा नहीं करा सकते, तो यह गठबंधन सिर्फ सत्ता का सौदा है।
उन्होंने कहा,
“अगर नीतीश कुमार पीएम और गृह मंत्री के सामने आरक्षण के मुद्दे पर बोलने की हिम्मत नहीं रखते, तो उन्हें विधानसभा का एक दिन का विशेष सत्र बुलाना चाहिए। फिर देखिए, हम इसे कैसे लागू कराते हैं।”
राजनीतिक विश्लेषण
बिहार में आरक्षण के मुद्दे पर विपक्ष और सत्ताधारी गठबंधन के बीच सीधी टक्कर दिख रही है। तेजस्वी यादव लगातार 65 फीसदी आरक्षण को लागू करने और उसे संवैधानिक संरक्षण देने की मांग कर रहे हैं। वहीं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और एनडीए की ओर से अब तक इस पर कोई स्पष्ट प्रतिक्रिया नहीं आई है।