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पटना। बिहार की राजधानी पटना में मेट्रो रेल का सपना अब हकीकत बन चुका है, और इसकी बागडोर संभालने वाली हैं एक महिला लोको पायलट – स्वाति मौर्य। आधुनिक तकनीक से सुसज्जित मेट्रो ट्रेन के कंट्रोल लीवर पर जब उन्होंने पहली बार हाथ रखा, तो यह सिर्फ मेट्रो की शुरुआत नहीं थी, बल्कि बिहार की बेटियों के आत्मविश्वास और नई उड़ान की कहानी की शुरुआत थी।

दिल्ली मेट्रो से शुरू हुआ सफर

स्वाति मौर्य का सफर साल 2008 में शुरू हुआ, जब उन्होंने पटना साइंस कॉलेज से ग्रेजुएशन किया। सरकारी नौकरी की तैयारी के दौरान उन्होंने जिज्ञासा से दिल्ली मेट्रो का फॉर्म भरा और चयनित हो गईं। साल 2011 में उन्होंने दिल्ली मेट्रो में ज्वाइन किया और करीब 14 साल के अनुभव के बाद अब पटना मेट्रो की पायलट बनी हैं।

परिवार बना प्रेरणा

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स्वाति के पिता रेलवे से रिटायर्ड कर्मचारी हैं और पति डॉक्टर हैं। परिवार का सहयोग उन्हें हर कदम पर मिला। उनका कहना है कि जब घर का माहौल सकारात्मक हो, तो महिलाएं किसी भी क्षेत्र में अपनी छाप छोड़ सकती हैं।

पटना लौटीं भावनाओं के साथ

पटना मेट्रो के उद्घाटन के दिन स्वाति के चेहरे पर गर्व और उत्साह दोनों था। उन्होंने बताया कि “पहले दिन जब ट्रेन का कंट्रोल अपने हाथ में लिया, तो लगा जैसे पूरा शहर मेरे साथ चल रहा है। परिवार और शहरवासियों का गर्व मेरे लिए सबसे बड़ी उपलब्धि है।”

मेट्रो: विकास और गौरव की पहचान

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स्वाति मानती हैं कि मेट्रो केवल परिवहन साधन नहीं, बल्कि यह बिहार की प्रगति और आत्मनिर्भरता का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि मेट्रो परियोजना से बिहार के सर्विस सेक्टर को नई गति मिलेगी और यह राज्य के लिए मील का पत्थर साबित होगी।

महिलाओं के लिए प्रेरणा

स्वाति मौर्य बिहार की बेटियों के लिए एक प्रेरणा बन गई हैं। उन्होंने कहा, “सपनों को सीमाओं में मत बांधिए, मेहनत से उन्हें आसमान तक ले जाइए। आज बिहार की बेटियां हर क्षेत्र में देश का नाम रोशन कर रही हैं।”

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