
भागलपुर।सृजन घोटाले के प्रमुख आरोपित प्रणव कुमार घोष उर्फ पीके घोष को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने के बाद जेल से रिहा कर दिया गया है। पीके घोष वर्ष 2021 से पटना के बेऊर जेल में बंद थे। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने उन्हें मनी लॉन्ड्रिंग मामले में आरोपित किया था और 7 अगस्त 2021 को पटना से गिरफ्तार किया था।
इससे पहले ईडी के सहायक निदेशक संतोष कुमार मंडल ने दो दिनों तक उन्हें हिरासत में लेकर पूछताछ की थी। घोष की गिरफ्तारी सृजन घोटाले के उजागर होने के बाद हुई थी, जब वे फरार हो गए थे।
भीखनपुर निवासी पीके घोष को सृजन महिला विकास सहयोग समिति लिमिटेड की तत्कालीन सचिव मनोरमा देवी का करीबी और घोटाले का मुख्य साजिशकर्ता बताया गया है। सीबीआई द्वारा दाखिल चार्जशीट में उन्हें इस पूरे घोटाले का अहम रणनीतिकार बताया गया है।
ईडी ने सीबीआई दिल्ली द्वारा दर्ज प्राथमिकी के आधार पर मनी लॉन्ड्रिंग की जांच शुरू की थी। जांच में खुलासा हुआ कि पीके घोष ने अवैध तरीके से अर्जित धन से बड़ी संख्या में चल-अचल संपत्तियां खरीदी थीं। इसके तहत ईडी ने अब तक दो बार में करीब 18 करोड़ रुपये मूल्य की संपत्तियों को कुर्क किया है।
कुर्क की गई संपत्तियों में 32 फ्लैट, 18 दुकानें, 38 प्लॉट और मकान, 47 बैंक खाते, एक कार और एक स्कॉर्पियो शामिल हैं। इसके अलावा, जांच में यह भी सामने आया कि पुणे स्थित एक बंगले की खरीद सृजन समिति के खाते से सीधे राशि ट्रांसफर कर की गई थी।
पीके घोष की रिहाई के बाद एक बार फिर यह मामला सुर्खियों में आ गया है। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि आगे इस प्रकरण में न्यायिक प्रक्रिया किस दिशा में जाती है।