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नई दिल्ली/आजमगढ़:

संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की परीक्षा को भारत की सबसे कठिन प्रतियोगी परीक्षाओं में गिना जाता है, जहां हर साल लाखों उम्मीदवार किस्मत और कड़ी मेहनत के सहारे सफलता की तलाश में उतरते हैं। इन्हीं में से एक हैं उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले के छोटे से गांव के रहने वाले बजरंग प्रसाद यादव, जिन्होंने अपने जीवन के गहरे संघर्षों को मात देते हुए IPS अधिकारी बनने का सपना साकार किया।

10वीं में थे जब पिता की हत्या हो गई

साल 2014 में बजरंग सिर्फ 10वीं कक्षा के छात्र थे, जब उनके पिता की बेरहमी से हत्या कर दी गई। इस दर्दनाक घटना ने न केवल उन्हें मानसिक रूप से झकझोर दिया, बल्कि परिवार की आर्थिक स्थिति भी चरमरा गई। ऐसे हालात में पढ़ाई जारी रखना उनके लिए किसी चुनौती से कम नहीं था।

ट्यूशन की फीस भरने के लिए बेचना पड़ा घर का अनाज

बजरंग ने हार नहीं मानी। पढ़ाई के लिए जब पैसे नहीं थे तो उन्होंने घर का अनाज बेचकर फीस भरी। कई बार किताबें उधार लेकर पढ़नी पड़ी। फिर भी उन्होंने खुद को लक्ष्य से नहीं डगमगाने दिया।

तीसरे प्रयास में मिली सफलता, बने IPS अफसर

बजरंग प्रसाद ने ग्रेजुएशन के बाद UPSC की तैयारी शुरू की। पहले दो प्रयासों में उन्हें असफलता मिली, लेकिन उन्होंने अपने पिता का सपना और न्याय की भावना को अपनी प्रेरणा बनाया। साल 2022 में तीसरे प्रयास में उन्होंने UPSC परीक्षा पास की और ऑल इंडिया रैंक 454 हासिल की। इस रैंक के आधार पर उनका चयन भारतीय पुलिस सेवा (IPS) में हुआ।

“मैंने सिर्फ नौकरी नहीं, पिता का सपना पूरा किया”

बजरंग का कहना है कि उनका मकसद सिर्फ एक अच्छी नौकरी पाना नहीं था, बल्कि अपने पिता के अधूरे सपनों को पूरा करना था। वे अब एक ऐसे अफसर बनना चाहते हैं जो पीड़ितों और गरीबों को न्याय दिला सके। उनके शब्दों में:

“मैंने सिर्फ UPSC क्लियर नहीं किया है, मैंने अपने पिता को न्याय दिलाने की दिशा में पहला कदम बढ़ाया है। अब मेरी पूरी कोशिश होगी कि मैं सिस्टम में रहकर समाज में बदलाव ला सकूं।”

संघर्ष से सफलता तक – एक मिसाल

बजरंग प्रसाद यादव की कहानी उन लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा है जो कठिन परिस्थितियों से गुजर रहे हैं। वह साबित करते हैं कि हालात चाहे जितने भी मुश्किल हों, अगर आपके भीतर जुनून, लक्ष्य के प्रति समर्पण और निरंतर मेहनत है, तो कोई भी सपना अधूरा नहीं रहता।