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शिवराज सिंह चौहान ने किया ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ का एलान, 1.30 करोड़ किसानों से होगा सीधा संवाद

ByKumar Aditya

मई 19, 2025
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नई दिल्ली, 19 मई 2025: केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सोमवार को नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय मीडिया केंद्र में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में 29 मई से शुरू होने वाले “विकसित कृषि संकल्प अभियान” की विस्तृत जानकारी साझा की। उन्होंने बताया कि इस राष्ट्रव्यापी अभियान के तहत देशभर के 723 जिलों में 65,000 से अधिक गांवों तक वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों की 2,170 टीमें पहुंचेंगी और 1.30 करोड़ से अधिक किसानों से सीधा संवाद करेंगी।

केंद्रीय मंत्री ने बताया कि यह अभियान विकसित भारत की संकल्पना के तहत विकसित कृषि और समृद्ध किसान की दिशा में बड़ा कदम है। उन्होंने कहा, “कृषि न केवल हमारी अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, बल्कि यह हमारी खाद्य सुरक्षा और ग्रामीण जीवन का आधार भी है।”

6 सूत्रीय रणनीति से तय होंगे कृषि सुधार के आयाम

शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने किसानों की आय बढ़ाने और खेती को लाभकारी व्यवसाय बनाने के लिए छह प्रमुख रणनीतियां तय की हैं:

  1. उत्पादन में वृद्धि
  2. लागत में कमी
  3. उपज का उचित मूल्य
  4. आपदा में क्षति की भरपाई
  5. कृषि विविधीकरण एवं वैल्यू एडिशन
  6. जैविक एवं प्राकृतिक खेती को बढ़ावा

रिकॉर्ड उत्पादन और भारत को ‘फूड बास्केट ऑफ वर्ल्ड’ बनाने का संकल्प

केंद्रीय मंत्री ने बताया कि देश में अनाज उत्पादन लगातार रिकॉर्ड बना रहा है। 2024-25 में कुल खाद्यान उत्पादन 3309.18 लाख टन तक पहुंच गया है, जो पिछले वर्ष की तुलना में उल्लेखनीय वृद्धि है। दालों का उत्पादन 230.22 लाख टन और तिलहनी फसलों का उत्पादन 416 लाख टन तक पहुंच गया है।

उन्होंने कहा, “हमारा सपना है कि भारत एक दिन ‘फूड बास्केट ऑफ द वर्ल्ड’ बने, और इस दिशा में यह अभियान एक मजबूत नींव डालेगा।”

29 मई से 12 जून तक चलेगा अभियान

अभियान के दौरान ICAR के 113 संस्थानों, 731 कृषि विज्ञान केंद्रों, कृषि विश्वविद्यालयों, राज्यों के कृषि विभागों, FPOs और प्रगतिशील किसानों की संयुक्त टीमें गांव-गांव जाकर किसानों से संवाद करेंगी। टीमें स्थानीय जलवायु, मिट्टी की गुणवत्ता, उपयुक्त फसल, खाद की सही मात्रा, कीट नियंत्रण जैसी विषयों पर वैज्ञानिक सलाह देंगी।

किसान अपने सवाल पूछ सकेंगे और अपनी समस्याएं भी साझा कर सकेंगे, जिनके आधार पर भविष्य की अनुसंधान दिशा भी तय की जाएगी।


 

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