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बीजेपी-जेडीयू के बीच जारी रणनीति बैठकें, एनडीए में अंदरूनी समीकरणों पर मंथन जारी

पटना: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का बिगुल बजने के साथ ही राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में सीट बंटवारे को लेकर सियासी मंथन तेज हो गया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में जेडीयू, बीजेपी, एलजेपी (रामविलास) और हम पार्टी के बीच सीटों की हिस्सेदारी को लेकर गहन चर्चा चल रही है।


नीतीश, धर्मेंद्र प्रधान और विनोद तावड़े की मैराथन बैठकें

बीजेपी के पार्टी प्रभारी विनोद तावड़े और चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान लगातार नीतीश कुमार से मुलाकात कर सीट बंटवारे और रणनीति पर मंथन कर रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक, एनडीए का लक्ष्य है कि सहयोगी दलों को सीट ऑफर देकर उनकी प्रतिक्रिया का आकलन किया जाए ताकि जल्द सहमति बन सके।

पहले चरण का चुनाव 10 अक्टूबर से शुरू हो रहा है, इसलिए आज और कल दोनों दिन कई राउंड की बैठकें होने की संभावना है।


चिराग और मांझी की सीटों को लेकर मांग बढ़ी

सूत्र बताते हैं कि चिराग पासवान ने 30 सीटों और जीतनराम मांझी ने 15 सीटों की मांग की है। हालांकि, 243 सीटों वाले बिहार विधानसभा के समीकरण में इन दोनों दलों को 45 से अधिक सीटें मिलना मुश्किल माना जा रहा है। वहीं, बीजेपी और जेडीयू — दोनों ही 100 से कम सीटों पर समझौता करने को तैयार नहीं हैं, और नीतीश कुमार भाजपा से एक सीट ज्यादा चाहते हैं।


एनडीए में अंदरूनी असंतोष बढ़ा

सूत्रों के अनुसार, सीट शेयरिंग पर अब भी सहमति नहीं बन पाई है। एलजेपी (रामविलास) के प्रमुख चिराग पासवान ने दिल्ली में भाजपा नेताओं से मुलाकात कर सीटों पर चर्चा की, जबकि हम पार्टी के नेता जीतनराम मांझी ने कहा कि “8-9 अक्टूबर तक बातचीत जारी रहेगी, और 12 अक्टूबर तक तस्वीर साफ हो जाएगी।”


प्रशांत किशोर और चिराग पासवान के बीच नई सियासी हलचल

इस बीच बिहार की राजनीति में नया मोड़ देखने को मिल रहा है।
सूत्रों के मुताबिक, एलजेपी (रामविलास) के अध्यक्ष चिराग पासवान और रणनीतिकार प्रशांत किशोर (PK) के बीच संभावित गठबंधन को लेकर बातचीत तेज हो गई है।
राजनीतिक जानकार मानते हैं कि यह कदम सामाजिक और जातीय समीकरणों को ध्यान में रखकर उठाया जा सकता है।

यदि यह गठबंधन बनता है, तो यह बिहार में नए राजनीतिक समीकरणों को जन्म देगा और युवा एवं पिछड़े वर्ग के वोट बैंक पर भी असर डालेगा।


बीजेपी-जेडीयू की चिंताएं बढ़ीं

बीजेपी और जेडीयू दोनों ही इस संभावित गठबंधन को लेकर सतर्क हैं। पार्टी सूत्रों का कहना है कि चिराग पासवान का प्रशांत किशोर के साथ जुड़ना एनडीए के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो सकता है। विशेषज्ञों के मुताबिक, यह गठबंधन “बिहार फ़र्स्ट, बिहारी फ़र्स्ट” की विचारधारा को नया मोड़ दे सकता है और चुनावी परिणामों पर निर्णायक प्रभाव डाल सकता है।


अगले कुछ दिनों में बनेगी तस्वीर

फिलहाल, एनडीए के सभी घटक दलों के बीच बैठकों का सिलसिला जारी है। अगले कुछ दिनों में सीट बंटवारे की अंतिम रूपरेखा तय होने की संभावना है। राजनीतिक हलकों का मानना है कि चिराग पासवान के रुख और प्रशांत किशोर की रणनीति बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की दिशा तय कर सकती है।


 

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