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पटना: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के लिए एक और बड़ी मुश्किल सामने आई है।

तेजस्वी यादव के करीबी सहयोगी और जहानाबाद से सांसद डॉ. सुरेंद्र प्रसाद यादव के खिलाफ आर्म्स एक्ट के उल्लंघन का मामला दर्ज किया गया है।
यह मामला न सिर्फ सांसद के राजनीतिक करियर के लिए गंभीर है, बल्कि चुनावी माहौल में राजद की रणनीति पर भी असर डाल सकता है।


गया डीएम के आदेश पर हुई कार्रवाई

गया जिले के डीएम शशांक शुभंकर के आदेश पर यह कार्रवाई की गई।
डीएम के निर्देश के बाद आर्म्स मजिस्ट्रेट ने रिपोर्ट वरीय पुलिस अधीक्षक को सौंपी, जिसके आधार पर शेरघाटी थाना में सांसद के खिलाफ नामजद प्राथमिकी दर्ज की गई।
एफआईआर में सांसद के पदनाम की जगह उनके व्यक्तिगत विवरणों के आधार पर मामला दर्ज हुआ है।


तीन लाइसेंस पर पांच हथियार रखने का आरोप

अधिकारियों के अनुसार, सांसद के पास तीन अलग-अलग लाइसेंसों पर पांच हथियार पाए गए हैं।
वर्तमान में उनके तीनों लाइसेंसों पर चार हथियार दर्ज हैं, जबकि कानून के अनुसार केवल दो हथियार रखने की अनुमति है।
उन्होंने गया जिले के सिविल लाइंस थाना, शेरघाटी थाना क्षेत्र और दिल्ली से शस्त्र अनुज्ञप्तियाँ लीं, जिसे प्रशासन ने गैरकानूनी माना है।


एफआईआर और धाराएं

शेरघाटी थाना कांड संख्या 423/25 के तहत सांसद के खिलाफ
भारतीय दंड संहिता की धारा 25(1-ब) और आर्म्स एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया है।
हथियारों में एनपी बोर पिस्टल, दोनाली बंदूक और रिवॉल्वर शामिल हैं।


कानूनी विशेषज्ञों की राय

कानूनी विशेषज्ञों के अनुसार, यदि आरोप साबित होते हैं तो सांसद को तीन से सात साल तक की सजा हो सकती है।
आर्म्स (संशोधित) अधिनियम, 2019 के अनुसार अब किसी भी व्यक्ति को केवल दो हथियार रखने की अनुमति है — पहले यह सीमा तीन थी।


राजनीतिक असर और विपक्ष की रणनीति

यह मामला राजद की चुनावी रणनीति को प्रभावित कर सकता है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि विपक्षी दल इस मुद्दे को चुनावी हथियार के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं।
राजद की ओर से कहा गया है कि पार्टी कानूनी प्रक्रिया का सम्मान करती है और मामले का सामना कानून के दायरे में करेगी।


निष्कर्ष

बिहार चुनाव से ठीक पहले सामने आया यह मामला राजद के लिए बड़ी चुनौती साबित हो सकता है।
प्रशासन की यह कार्रवाई यह संदेश देती है कि कानून सबके लिए समान है, चाहे व्यक्ति सांसद ही क्यों न हो।


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