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रिक्शा चालक का पोता UPSC टॉपर, बिहार के सचिन को मिला पहला स्थान, दादा का सपना था पोता अफसर बने

मेरा नाम सचिन कुमार है और मैं यूपीएससी CAPF 2019 भर्ती परीक्षा का टॉपर हूं. मैं मूल रूप से बिहार के वैशाली जिले के जंदाहा का रहने वाला हूं. मेरा जन्म साधारण परिवार में नहीं बल्कि एक गरीब परिवार में हुआ था. मेरे दादाजी रिक्शा चालक थे. आज मैं जो भी हूं जैसा भी हूं उसमें दादाजी का महत्वपूर्ण योगदान है. उन्होंने ही सपना देखा था कि मैं एक बड़ा अफसर बनू. जिस दिन रिजल्ट निकला तो मैं बार-बार अपने रिजल्ट को 3 से 4 बार देख रहा था. विश्वास ही नहीं हो रहा था कि मैं ऑल इंडिया टॉप किया है. मुझे देशभर में पहला रैंक मिला है।

दादाजी की तस्वीर को दिखाते हुए सचिन कुमार भावुक हो जाते हैं और कहते हैं कि 1 साल पहले उनके दादाजी का निधन हो गया लेकिन आज उनका सपना साकार हुआ है. उनके दादाजी का नाम भोला राय था. साल 2019 के नवंबर महीने में उनका निधन हो गया था।

सचिन बताते हैं कि दादाजी के पास एक गाय हुआ करता था जिस गाय की मदद से घर चलाने में दादा जी को मदद होती थी. लेकिन मुझे पढ़ने के लिए जब पैसे कम पड़ गए तो उन्होंने उस गाय को भी बेच दिया. मैं जानता था कि मुझे अफसर बनाने के लिए दादाजी दिन-रात एक कर रहे हैं इसीलिए मैं अपने घर के बाहर दलान पर खटिया बिछाकर जमकर पढ़ता था।

सचिन कहते हैं कि उनके गांव का नाम सस्तौल है और आरंभिक स्कूल की पढ़ाई उन्होंने यही से शुरू की. मैं अपने गांव के सरकारी स्कूल का छात्र हूं. सचिन कहते हैं कि मेरे घर को देखकर आप अंदाजा लगा सकते हैं कि हमारी आर्थिक स्थिति क्या है. पुराना सा घर है जो मिट्टी पर जोर कर अर्थात किसी तरह से खड़ा किया गया है. दीवार में प्रॉपर ढंग से प्लास्टर भी नहीं है. जगह-जगह दीवार में दरारें दिख रही है।

सचिन कहते हैं कि दादाजी शिक्षा की महत्व को जानते थे इसीलिए उन्होंने पहले मेहनत कर मेरे पिताजी को पढ़ाया और उन्हें लायक बनाया. मेरे पिताजी मधेपुरा यूनिवर्सिटी में लाइब्रेरियन है. दादाजी बार-बार कहते थे कि मैं तुम्हारे पिताजी को अफसर बनाना चाहता था लेकिन मेरा सपना साकार नहीं हुआ. भगवान ने जिस दिन पोता दिया उसी दिन मैंने तय कर लिया था कि यह पोता मेरे सपने को साकार करेगा।

सचिन कहते हैं कि उनके दादाजी ने उन्हें पढ़ने के लिए अपना सब कुछ झोंक दिया. यही कारण था कि मैं भी दादाजी के सपने को अपना सपना बना लिया. सचिन कहते हैं कि गांव के सरकारी स्कूल से मेरा शिक्षा आरंभ हुआ जो सैनिक स्कूल नालंदा पहुंचा. मैंने जमकर मेहनत की और मेरा एडमिशन सैनिक स्कूल में हो गया।

सचिन कहते हैं की आठवीं कक्षा के बाद उन्हें देहरादून स्थित राष्ट्रीय इंडियन मिलिट्री कॉलेज में एडमिशन करने का अवसर मिल गया. जब मैं 12वीं क्लास में था तो उस समय देश के रक्षा मंत्री मनोहर पारिकर द्वारा उन्हें सर्वश्रेष्ठ छात्र का पुरस्कार मिला. इंटर परीक्षा पास करने के बाद सचिन ने बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी अर्थात BHU से पॉलिटिकल साइंस में ऑनर्स किया. सचिन को आज भी याद है कि बीएचयू में परीक्षा समाप्त होने के मात्र एक महीने बाद उन्होंने यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन अर्थात UPSC(CAPF) परीक्षा में शामिल होने का फैसला लिया और देशभर में टॉप किया।


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Sumit ZaaDav

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