खगड़िया, बिहार – राखी के धागे में बंधा रिश्ता कभी-कभी इतना गहरा होता है कि वह मौत को भी मात दे देता है। खगड़िया के एक भाई ने अपनी बहन की जिंदगी बचाने के लिए वह कर दिखाया, जो फिल्मों में भी कम ही देखने को मिलता है—उसने अपनी एक किडनी दान कर दी।
बहन की आंखों में आंसू, दिल में कृतज्ञता
धनबाद में रहने वाली खुशबू कुमारी की आंखें भर आती हैं, जब वह कहती हैं—
“अगर मेरा भाई न होता तो आज मैं कब की मिट्टी में मिल चुकी होती। सात साल से उसकी दी हुई किडनी मेरे अंदर धड़क रही है। उसने बिना एक पल सोचे मुझे जिंदगी दे दी। मैं जीवन भर उसकी ऋणी रहूंगी।”
मौत की आहट और तीन मासूम चेहरे
साल 2017… खुशबू की जिंदगी अचानक बदल गई। पेट में असहनीय दर्द, फिर जांच में सामने आया—दोनों किडनी फेल। दिल्ली एम्स के डॉक्टर ने साफ कह दिया—
“एक महीने में ट्रांसप्लांट नहीं हुआ तो आपकी जिंदगी खत्म।”
उस वक्त खुशबू की गोद में तीन नन्हें बच्चे थे। डर मौत से ज्यादा इस बात का था कि उनके बाद इन बच्चों का क्या होगा।
जब अपनों ने मुंह मोड़ा
पति और ससुराल वालों से उम्मीद थी कि कोई आगे आएगा, लेकिन उन्होंने किडनी देने से साफ इंकार कर दिया। मायके में खबर पहुंची तो वहां भी माहौल गर्म हो गया। चार भाइयों और उनकी पत्नियों के बीच बहस—कौन देगा किडनी? कौन उठाएगा जिम्मेदारी?
भाई ने कहा—”राखी का हक अब अदा करूंगा”
इसी बहस के बीच सबसे बड़े भाई राजेश कुमार उर्फ गनी चुपचाप खड़े थे। फिर उन्होंने एक ही वाक्य बोला—
“बचपन से मेरी बहन मुझे राखी बांधती आई है। अगर वो नहीं रही तो मुझे राखी कौन बांधेगा? अब वक्त है कि मैं इस धागे का कर्ज चुकाऊं।”
और बिना अपनी जिंदगी की परवाह किए, वह ऑपरेशन टेबल पर पहुंच गए।
जिंदगी की नई शुरुआत
ऑपरेशन सफल हुआ। खुशबू की आंखों में आंसू थे और भाई की आंखों में सुकून। आज दोनों स्वस्थ हैं। हालांकि खुशबू डॉक्टरों की देखरेख में रहती हैं, लेकिन हर रक्षाबंधन पर वह भाई को राखी भेजना नहीं भूलतीं।
गांव में चर्चा का विषय
गांव के लोग कहते हैं—
“गनी और खुशबू का रिश्ता सिर्फ खून का नहीं, दिल का भी है। भाई हो तो ऐसा, जो बहन की जिंदगी के लिए अपनी जान दांव पर लगा दे।”
यह सिर्फ एक कहानी नहीं, बल्कि भाई-बहन के रिश्ते का सबसे सुंदर रूप है—जहां राखी का मतलब सिर्फ मिठाई और तोहफा नहीं, बल्कि जिंदगी देने का वादा है।


