नई दिल्ली: बहुचर्चित रेलवे टेंडर घोटाला मामले में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) प्रमुख और पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव व उनके परिवार के सदस्यों पर लगे गंभीर आरोपों को लेकर दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में सुनवाई हुई। विशेष सीबीआई जज विशाल गोगने की अदालत ने गुरुवार को दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है।
23 जुलाई को होगा फैसला
अब इस हाई प्रोफाइल मामले में अगली सुनवाई 23 जुलाई को निर्धारित की गई है। इस दिन यह तय होगा कि लालू यादव, राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव समेत अन्य आरोपियों पर मुकदमा चलेगा या नहीं। यह तारीख लालू परिवार के लिए बेहद अहम मानी जा रही है।
कौन-कौन हैं आरोपी?
इस मामले में लालू यादव, उनकी पत्नी राबड़ी देवी, बेटे और बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव, इसके अलावा प्रेमचंद्र गुप्ता और उनकी पत्नी सरल गुप्ता को भी आरोपी बनाया गया है।
क्या है पूरा मामला?
यह मामला उस वक्त का है जब लालू यादव रेल मंत्री थे। आरोप है कि रेलवे के उपक्रम IRCTC ने होटलों के संचालन व रख-रखाव के लिए टेंडर जारी किया था। यह टेंडर अंततः तत्कालीन राज्यसभा सांसद प्रेमचंद्र गुप्ता की पत्नी सरल गुप्ता की कंपनी सुजाता होटल्स प्राइवेट लिमिटेड को दे दिया गया।
आरोपों के अनुसार, यह टेंडर पारदर्शिता को दरकिनार कर दिया गया और इसके बदले में लालू यादव के परिवार को पटना में बहुमूल्य जमीन ट्रांसफर की गई। सीबीआई का दावा है कि यह “जमीन के बदले नौकरी” जैसा ही मामला है, जहां निजी लाभ के लिए सार्वजनिक पद का दुरुपयोग किया गया।
रक्षा में क्या बोले लालू परिवार?
लालू परिवार ने सभी आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा है कि यह मामला राजनीतिक द्वेष के तहत दर्ज किया गया है। तेजस्वी यादव ने पहले भी इसे “वोट से पहले षड्यंत्र” करार दिया था और कहा था कि इसमें कोई साक्ष्य नहीं हैं।