
मुज़फ्फरपुर, 25 जून — उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने मंगलवार को एल.एन. मिश्रा कॉलेज ऑफ बिजनेस मैनेजमेंट, मुज़फ्फरपुर के स्वर्ण जयंती स्थापना दिवस समारोह में शिरकत की और छात्रों, शिक्षकों व नागरिकों को संबोधित करते हुए बिहार के ऐतिहासिक, शैक्षणिक, सांस्कृतिक और राष्ट्रनिर्माण में योगदान की भावपूर्ण चर्चा की।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि “इस भूमि से मेरा रिश्ता केवल औपचारिक नहीं, आत्मिक है। डॉक्टर जगन्नाथ मिश्रा से मेरे संबंध, लोकसभा में उनके स्नेह और मार्गदर्शन से ही मेरी राजनीतिक यात्रा को दिशा मिली।” उन्होंने इस अवसर को ‘एक भावनात्मक पुनर्मिलन’ की तरह बताया।
बिहार की वैचारिक और बौद्धिक परंपरा का स्मरण
उपराष्ट्रपति ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की चर्चा करते हुए उसे “भारत के लिए सभ्यतागत नवजागरण और राष्ट्रनिर्माण मिशन” बताया। उन्होंने कहा:
“भारत ज्ञान का भंडार है, हमारी संस्कृति में वसुधैव कुटुंबकम् की भावना है। नालंदा, विक्रमशिला, ओदंतपुरी जैसे विश्वविद्यालय हमारी बौद्धिक विरासत के प्रतीक हैं।”
उन्होंने कहा कि जहां दुनिया के अन्य देश 200–400 साल पुराने हैं, वहीं भारत एक जीवंत सभ्यता है जिसकी जड़ें 5000 वर्षों में फैली हैं। “हमारे शास्त्रों, वेदों, उपनिषदों में निहित ज्ञान आज भी मानवता का मार्गदर्शन कर रहा है।”
युवाओं से राष्ट्रनिर्माण का आह्वान
कॉलेज के छात्रों को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा:
“आप सौभाग्यशाली हैं कि ऐसे समय में युवा हैं जब दुनिया भारत की ओर देख रही है। भारत की मीडियन आयु 28 वर्ष है — यही हमारी सबसे बड़ी ताकत है।”
उन्होंने युवाओं को नवाचार, चरित्र निर्माण, और राष्ट्र के प्रति समर्पण के साथ कार्य करने की प्रेरणा दी और कहा कि “अब समय है कि आप आत्मा की आवाज़ सुनें और भारत को विश्वगुरु बनाने में भूमिका निभाएं।”
इतिहास और वर्तमान की सेतु भूमि — बिहार
उपराष्ट्रपति ने बिहार को ‘भारत की आत्मा’ बताते हुए कहा:
“यह वह भूमि है जहाँ बुद्ध को ज्ञान मिला, महावीर को आत्मबोध हुआ, गांधी ने सत्याग्रह की शुरुआत की, और जयप्रकाश नारायण ने संपूर्ण क्रांति का शंखनाद किया।”
उन्होंने बिहार के गौरवशाली अतीत की चर्चा करते हुए नालंदा विश्वविद्यालय की तुलना ऑक्सफोर्ड, हार्वर्ड, केम्ब्रिज से की और कहा — “तीनों को जोड़ दें तो भी नालंदा की बराबरी नहीं कर सकते।”
आपातकाल, कर्पूरी ठाकुर और सामाजिक न्याय
उन्होंने 25 जून 1975 को लगे आपातकाल को ‘भारत का सबसे काला दिन’ बताया और छात्रों से आग्रह किया कि वे “संविधान हत्या दिवस” के रूप में इसे याद करें, ताकि लोकतंत्र की रक्षा हो सके। साथ ही, उन्होंने कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न दिए जाने पर गर्व व्यक्त किया और मंडल आयोग की ऐतिहासिक भूमिका को रेखांकित किया।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति — वैदिक ज्ञान और आधुनिक भारत का संगम
धनखड़ ने कहा कि “एनईपी 2020 केवल नीति नहीं, भारत की आत्मा की पुनर्स्थापना है।” उन्होंने इसे उपनिवेशिक शिक्षा प्रणाली से मुक्ति का रास्ता बताया और कहा कि यह नीति छात्रों को “कुशल पेशेवर, विवेकी नागरिक, रोजगारदाता और मूल्यपरक मानव” बनने का अवसर देती है।
समापन में एक आह्वान
अपने भाषण के अंत में उपराष्ट्रपति ने विद्यार्थियों से कहा:
“देश को महान बनाना है तो स्वयं को श्रेष्ठ बनाना पड़ेगा। यह कार्य आपसे शुरू होता है।“