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70% तक अनुदान के साथ, छोटे और सीमांत किसानों को मिल रहा सशक्त समर्थन

पटना, 20 जून 2025।राज्य सरकार द्वारा चलाई जा रही “तालाब मत्स्यिकी विशेष सहायता योजना” बिहार के अनुसूचित जाति, जनजाति एवं अत्यंत पिछड़े वर्ग के मत्स्य कृषकों के लिए आर्थिक आत्मनिर्भरता और उद्यमिता की नई राह खोल रही है। यह योजना मत्स्य पालन को एक संगठित, समृद्ध और टिकाऊ व्यवसाय के रूप में विकसित करने की दिशा में मील का पत्थर साबित हो रही है।

इस योजना का क्रियान्वयन पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग के अधीन निदेशालय मत्स्य द्वारा राज्यभर में किया जा रहा है।


योजना की मुख्य विशेषताएं:

  • लाभार्थी वर्ग: अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अत्यंत पिछड़ा वर्ग के मत्स्य कृषक
  • अनुदान राशि:
    • ₹10.10 लाख प्रति एकड़ जलक्षेत्र की लागत पर
    • 70% राशि अनुदान स्वरूप (₹7.07 लाख)
    • शेष 30% राशि लाभार्थी द्वारा स्वयं या बैंक ऋण से वहन
  • सहायता के प्रमुख बिंदु (पैकेज फॉर्मेट में):
    • रियरिंग तालाब निर्माण
    • बोरिंग व समरसिबल पंप/पंपसेट की स्थापना
    • मत्स्य शेड निर्माण
    • यांत्रिक एरेटर
    • मत्स्य इनपुट (भोजन, उर्वरक आदि)

प्रत्यक्ष लाभ:

  • मत्स्य उत्पादन में वृद्धि
  • मत्स्य कृषकों की आय में उल्लेखनीय सुधार
  • सतत ग्रामीण आजीविका और पोषण सुरक्षा
  • मत्स्य पालन को लाभकारी व्यवसाय के रूप में स्थापित करना

कैसे प्राप्त करें योजना का लाभ?

इच्छुक लाभार्थी योजना की विस्तृत जानकारी और आवेदन के लिए निम्नलिखित माध्यमों से संपर्क कर सकते हैं:


राज्य सरकार की प्रतिबद्धता:

“तालाब मत्स्यिकी विशेष सहायता योजना” न सिर्फ बिहार में मत्स्य उत्पादन और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा दे रही है, बल्कि यह मत्स्य कृषकों की आयवृद्धि, सम्मानजनक जीवनस्तर और सामाजिक उत्थान की दिशा में भी एक स्थायी बदलाव की नींव रख रही है।