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पटना, 5 जुलाई 2025:निपुण भारत मिशन के अंतर्गत आज “निपुण दिवस” के अवसर पर बिहार शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस. सिद्धार्थ ने राज्य के स्कूली बच्चों को एक भावनात्मक व प्रेरणादायक खुला पत्र लिखा। पत्र के माध्यम से उन्होंने कक्षा 1 से 3 तक के बच्चों को केवल किताबी ज्ञान तक सीमित न रहकर जीवन के व्यवहारिक पक्ष से जुड़ने की सीख दी।

संस्कारों से जुड़े निपुणता के मायने

डॉ. सिद्धार्थ ने अपने पत्र में लिखा है कि “निपुणता केवल किताबों से नहीं, आचरण से झलकती है।”

“जब आप बुजुर्गों का सम्मान करते हैं, सच बोलते हैं, बिना कहे अपना काम करते हैं, तब असली निपुणता प्रकट होती है।”

उन्होंने बच्चों को प्रेरित किया कि वे पढ़ाई के साथ-साथ सामाजिक और नैतिक मूल्यों को भी आत्मसात करें – जैसे कि पुस्तकें सहेजना, लाइन में चलना, कूड़ेदान में कूड़ा डालना, और यातायात नियमों का पालन करना।

“आपके कदम आज विद्यालय में हैं, कल देश की दिशा तय करेंगे”

अपने पत्र में उन्होंने लिखा:

मेरे प्यारे बच्चों, आपको पढ़ते, खेलते और मुस्कराते देखना मेरे लिए किसी त्योहार से कम नहीं है। आपके नन्हें कंधों पर ही कल इस देश की जिम्मेदारियां होंगी।

उन्होंने बच्चों के दैनिक प्रयासों की सराहना करते हुए उन्हें भाषा, गणित, अनुशासन, और संवेदनशीलता में प्रगति करते रहने का संदेश दिया।

“आकाश सिर्फ नीला नहीं होता” – वैज्ञानिक दृष्टिकोण का संदेश

एस. सिद्धार्थ ने प्रकृति के माध्यम से वैज्ञानिक सोच और संवेदना विकसित करने का संदेश देते हुए लिखा:

अगर आपने यह समझ लिया कि आकाश केवल नीला नहीं, बल्कि अनगिनत रहस्यों से भरा है, और मिट्टी, नदी, पहाड़ सब जीवन के पाठ पढ़ाते हैं – तो समझिए, आपने देखना शुरू कर दिया है, सिर्फ आंखों से नहीं, सोच से भी।

उन्होंने बच्चों को कल्पना, तर्क, और जिज्ञासा के लिए प्रोत्साहित किया और कहा कि शिक्षा विभाग, शिक्षक, और माता-पिता हर कदम पर उनके साथ हैं।

“गलती हो जाए तो सीखें” – आत्मविश्वास की प्रेरणा

अपने पत्र के अंत में उन्होंने बच्चों से कहा:

पुस्तकें आपको ज्ञान देंगी, लेकिन मानवता आपको अच्छे-बुरे का फर्क समझाएगी। मन की आवाज सुनें, गुरुओं की मानें, और खुद पर भरोसा रखें। अगर कभी डर लगे, तो जान लें कि अंधेरे में भी एक दीप जलाया जा सकता है।
गलती हो जाए, तो सीखें। यही सीख आपको ‘निपुण’ बनाएगी।


निपुण भारत मिशन क्या है?

निपुण भारत मिशन का उद्देश्य है – कक्षा 1 से 3 तक के बच्चों में बुनियादी साक्षरता और संख्यात्मकता कौशल का विकास करना। इस मिशन के तहत 5 जुलाई को “निपुण दिवस” के रूप में मनाया जाता है, जो शिक्षा को जीवन से जोड़ने की पहल है।


एस. सिद्धार्थ का यह पत्र न केवल शिक्षा को पुस्तक से बाहर निकालने का प्रयास है, बल्कि यह आज के बच्चों को संवेदनशील, सोचनेवाले और व्यवहारिक नागरिक बनाने की दिशा में एक सार्थक पहल भी है।