पटना, 16 अगस्त।बिहार में नीतीश सरकार के नेतृत्व में चल रही जीविका योजना ने ग्रामीण इलाकों में महिला सशक्तिकरण की तस्वीर ही बदल दी है। अब महिलाएं न केवल घर की जिम्मेदारी संभाल रही हैं, बल्कि खेती, पशुपालन और उत्पादन के क्षेत्र में भी अग्रणी भूमिका निभा रही हैं।
38 लाख से अधिक महिला किसान जुड़ीं आधुनिक खेती से
राज्यभर में 38 लाख से अधिक महिला किसान आधुनिक खेती के तौर-तरीकों को अपना चुकी हैं। कृषि विभाग और जीविका के संयुक्त प्रयास से अब तक 519 कस्टम हायरिंग सेंटर (CHCs) स्थापित किए गए हैं। यहां ट्रैक्टर, सीड ड्रिल, पावर टिलर और थ्रेशर जैसे आधुनिक कृषि उपकरण सस्ती दरों पर किराए से मिलते हैं। इससे खेती की लागत घटी है और उत्पादन में वृद्धि हुई है।
पशुपालन और डेयरी में बड़ी भागीदारी
महिलाएं सिर्फ खेती तक सीमित नहीं हैं, बल्कि पशुपालन और डेयरी में भी अग्रणी हैं।
- 10 लाख से ज्यादा ग्रामीण परिवार बकरी पालन, दुग्ध उत्पादन और छोटे डेयरी कारोबार से जुड़े
- पिछले वित्तीय वर्ष में महिला समूहों ने 1.9 करोड़ लीटर नीरा का उत्पादन व बिक्री की
- अररिया में सीमांचल बकरी उत्पादक कंपनी से 19,956 परिवार जुड़े
महिला किसान उत्पादक कंपनियां (FPCs)
खेती को व्यापारिक दृष्टिकोण देने के लिए राज्य में 61 किसान उत्पादक कंपनियां अब पूरी तरह महिलाओं के हाथों में हैं। ये कंपनियां खेत की उपज की खरीद, प्रोसेसिंग, पैकेजिंग और बाजार तक बिक्री की जिम्मेदारी निभा रही हैं।
मधुमक्खी पालन से नई पहचान
- 11,855 महिलाएं मधुमक्खी पालन से जुड़ीं
- अब तक 3,550.5 मीट्रिक टन शहद का उत्पादन
‘ड्रोन दीदी योजना’ बनी गेम चेंजर
महिलाओं को तकनीकी रूप से सशक्त बनाने के लिए नीतीश सरकार ने ‘ड्रोन दीदी योजना’ की शुरुआत की है।
- ड्रोन खरीद पर 80% (₹8 लाख) अनुदान
- शेष ₹2 लाख जीविका समूहों से
- वर्ष 2024-25 और 2025-26 तक 14,500 महिला समूह योजना से जुड़ेंगे
बिहार की ग्रामीण महिलाएं आज खेत-खलिहान में नई इबारत लिख रही हैं। नीतीश सरकार की पहल और सहयोग से महिलाएं अब खेती, पशुपालन और उद्यमिता में बराबरी से योगदान दे रही हैं। यह न केवल ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती दे रहा है, बल्कि महिलाओं को आत्मनिर्भर और नेतृत्वकारी भूमिका में भी ला रहा है।


