नई दिल्ली/पटना | हेल्थ डेस्क | मई 2025
देश में बढ़ती गर्मी और लू से हो रहे जानमाल के नुकसान को लेकर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने सख्त रुख अपनाया है। आयोग ने बिहार सहित 11 राज्यों के मुख्य सचिवों को पत्र भेजकर निर्देश दिए हैं कि वे कमजोर वर्गों की सुरक्षा के लिए तात्कालिक कदम उठाएं।
लू और गर्मी से 5 वर्षों में 3,798 मौतें
NHRC ने नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया कि 2018 से 2022 के बीच लू और अत्यधिक गर्मी के कारण 3,798 लोगों की मौत हो चुकी है। आयोग ने इस स्थिति को “प्राकृतिक आपदा” मानते हुए इससे निपटने के लिए एकीकृत और समावेशी रणनीति लागू करने की सिफारिश की है।
राज्यों को NHRC के प्रमुख निर्देश
आयोग ने पत्र में राज्यों से कहा है कि वे निम्नलिखित उपायों को त्वरित रूप से लागू करें:
- लू से प्रभावित लोगों के लिए अस्थायी आश्रय स्थलों की व्यवस्था करें।
- पेयजल, छाया और प्राथमिक चिकित्सा की सुलभता सुनिश्चित की जाए।
- बाहरी मजदूरों के लिए काम के समय में परिवर्तन कर दोपहर के समय काम रोकें।
- अस्पतालों में लू से संबंधित बीमारियों के लिए मानक उपचार प्रोटोकॉल अपनाएं।
बिहार में लू और AES: दोहरी चुनौती
बिहार में गर्मी केवल लू तक सीमित नहीं है। मुजफ्फरपुर और आसपास के जिलों में गर्मी के दौरान एक्यूट एन्सेफेलाइटिस सिंड्रोम (AES) का खतरा भी बना रहता है। हर साल सैकड़ों बच्चे इस बीमारी का शिकार होते हैं। अब तक AES के कारण और इलाज को लेकर कोई वैज्ञानिक समाधान सामने नहीं आया है, जिससे सावधानी और त्वरित इलाज ही इसके खिलाफ एकमात्र उपाय हैं।
बिहार में पिछले दो वर्षों से कम वर्षा और भूमि की घटती नमी के कारण तापमान में भारी वृद्धि देखी गई है। मई-जून में तापमान 45 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचने की आशंका है।
क्या करेगा बिहार सरकार?
NHRC के इन निर्देशों को बिहार जैसे राज्य के लिए चेतावनी और अवसर दोनों माना जा रहा है। राज्य में गर्मी के दौरान सबसे अधिक प्रभावित बुजुर्ग, बच्चे, मजदूर और बेघर लोग होते हैं। अब देखना यह है कि राज्य सरकार इन निर्देशों को कितनी गंभीरता से लागू करती है।