– झारखंड को पछाड़कर बिहार ने किया कमाल, खेलो इंडिया यूथ गेम्स में 14वां स्थान हासिल
– 7 स्वर्ण, 11 रजत और 18 कांस्य के साथ बना नया इतिहास
कल तक जिन्हें कहा जाता था कि “बिहार में खेल? वो भी संभव है?”, आज उन्हीं आलोचनाओं को खामोशी से पीछे छोड़ते हुए बिहार ने खेलों के सबसे बड़े राष्ट्रीय मंच पर अपना परचम लहरा दिया है। खेतों की मिट्टी में पसीना बहाकर तैयार हुए इन खिलाड़ियों ने पहली बार खेलो इंडिया यूथ गेम्स की शानदार मेजबानी ही नहीं की, बल्कि प्रदर्शन में भी ऐसी छलांग मारी कि देश चौंक गया।
2025 के खेलो इंडिया यूथ गेम्स में बिहार ने पदक तालिका में 14वां स्थान हासिल किया है। यह कोई सामान्य उपलब्धि नहीं, बल्कि 620 प्रतिशत की चौंकाने वाली वृद्धि का प्रतीक है। बिहार ने 7 स्वर्ण, 11 रजत और 18 कांस्य पदकों के साथ इतिहास रच दिया है, और खास बात यह रही कि इस बार झारखंड जैसे खेल-पारंपरिक राज्य को भी पीछे छोड़ दिया।
जहां कभी एक कांस्य ही था सपना, अब हर रंग के पदक हैं अपनी पहचान
जब 2018 में खेलो इंडिया की शुरुआत हुई थी, तब बिहार के हिस्से केवल एक कांस्य पदक आया था। तब से 2021 तक राह उतनी आसान नहीं रही। 2021 में कोविड का असर बिहार के प्रदर्शन पर दिखा और हम दो पदकों पर सिमट गए थे। लेकिन 2022 से तस्वीर बदलने लगी। धीरे-धीरे, योजनाओं, प्रशिक्षण और सरकार की गंभीर कोशिशों का असर दिखने लगा और खिलाड़ियों ने दोबारा उड़ान भरी।
2025 में बिहार की स्वर्णिम छलांग के पीछे ये थे असली हीरो:
- थांगटा (मणिपुरी मार्शल आर्ट): 2 स्वर्ण
- रग्बी: 2 स्वर्ण
- एथलेटिक्स: 2 स्वर्ण
- सेपक टाकरा: 1 स्वर्ण
खामोशी से क्रांति रचने वालों को सलाम
यह उपलब्धि केवल खिलाड़ियों की नहीं, बल्कि बिहार में चुपचाप आकार ले रही उस खेल क्रांति की है, जिसकी नींव राज्य सरकार ने कुछ साल पहले रखी थी। देसी-विदेशी प्रशिक्षकों की मदद, स्पोर्ट्स साइंस सपोर्ट, ट्रैकिंग सिस्टम और सही योजनाओं ने वह माहौल बनाया, जिसमें टैलेंट खिल उठा।
रविन्द्रण शंकरण (महानिदेशक, बिहार राज्य खेल प्राधिकरण) ने कहा:
“हम इतिहास लिखते नहीं, रचते हैं। हमारे खिलाड़ियों ने सपनों को जमीन दी है। यह सब कुछ योजनाबद्ध तरीके से हुआ है। पहली बार हमने खिलाड़ियों को विशेषज्ञ कोच, अंतरराष्ट्रीय ट्रेनर और बेहतर सुविधाएं दीं – और देखिए नतीजा हमारे सामने है।”
बिहार अब तैयार है – एशियन गेम्स और ओलंपिक के लिए
इस वर्ष का प्रदर्शन बताता है कि अब बिहार सिर्फ देखने वाला नहीं, हिस्सा लेने वाला और जीतने वाला राज्य बन चुका है। अब यहां सिर्फ फसलें नहीं, पदक भी उगाए जा रहे हैं। खेत-खलिहानों की मिट्टी में अब ओलंपिक की चमक देखी जा सकती है।
खामोश क्रांति अब गूंज रही है – देशभर में। बिहार तैयार है, अगला सपना ओलंपिक का है।
