खड़गपुर/शिवहर | 5 मई 2025: भारत के प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थानों में शुमार IIT खड़गपुर एक बार फिर छात्र की रहस्यमयी मौत को लेकर सुर्खियों में है। इस बार मामला बिहार के शिवहर जिले के गरहियार गांव के निवासी और जिले के टॉपर रहे मोहम्मद आसिफ कमर (21 वर्ष) की मौत से जुड़ा है। वह संस्थान में सिविल इंजीनियरिंग के थर्ड ईयर का छात्र था।
छात्रावास के कमरे से मिला शव
पुलिस के अनुसार, आसिफ का शव मदनमोहन मालवीय हॉल के एसडीएम ब्लॉक स्थित कमरा नंबर 134 से रविवार तड़के बरामद किया गया। सहपाठियों ने दरवाजा न खुलने पर पुलिस को सूचना दी, जिसके बाद दरवाजा तोड़कर शव बरामद किया गया। पुलिस ने संदेहास्पद मौत का मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
मां से आखिरी बात, फिर सन्नाटा
मृतक के पिता कमरुद्दीन के अनुसार, “रात 12 बजे तक आसिफ ने अपनी मां से सामान्य बातचीत की थी और आखिरी में कहा था कि वह कैंटीन जा रहा है। इसके बाद कॉल कट हो गया और फिर कोई संपर्क नहीं हो सका।”
बिहार का टॉपर, GATE पास कर चुका था
आसिफ अपने परिवार के आठ भाई-बहनों में सबसे छोटा था। 2022 में उसने इंटरमीडिएट में शिवहर जिले में टॉप किया था और हाल ही में GATE परीक्षा भी पास की थी। उसकी मौत ने पूरे गांव और संस्थान को झकझोर कर रख दिया है।
IIT खड़गपुर में तीन महीने में तीन मौतें
आसिफ की मौत कोई इकलौती घटना नहीं है। IIT खड़गपुर में पिछले तीन महीनों में यह तीसरी छात्र की मौत है। 12 अप्रैल, 20 अप्रैल और अब मई की शुरुआत में एक और होनहार छात्र की मौत से संस्थान में हड़कंप मच गया है।
पूर्व में उठे हैं गंभीर सवाल
यह कोई पहली बार नहीं है जब IIT खड़गपुर में किसी छात्र की मौत को लेकर संदेह उठे हों। अक्टूबर 2022 में फैजान अहमद की मौत पर उसके परिवार ने हत्या का आरोप लगाया था। बाद में दूसरी पोस्टमार्टम रिपोर्ट में गोली लगने और सिर पर गहरी चोट के निशान की पुष्टि हुई, जिससे जांच ने नया मोड़ लिया।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार, जांच जारी
खड़गपुर के हिजली पुलिस चौकी ने मामले की जांच शुरू कर दी है। पुलिस का प्राथमिक अनुमान आत्महत्या की ओर इशारा करता है, लेकिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद ही स्थिति स्पष्ट हो पाएगी।
लगातार हो रही छात्रों की मौत पर उठे सवाल
पिछले एक साल में IIT खड़गपुर में कई अप्राकृतिक मौतें सामने आ चुकी हैं — जिनमें देविका पिल्लई, फैजान अहमद, सावन मलिक, अनिकेत और अब मोहम्मद आसिफ कमर का नाम जुड़ गया है। ऐसे में देश के सबसे प्रतिष्ठित संस्थानों में से एक में मानसिक स्वास्थ्य, दबाव और प्रशासनिक जवाबदेही पर गंभीर सवाल उठने लगे हैं।