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पटना। बिहार सरकार के शिक्षा विभाग ने लगभग दो वर्षों के अंतराल के बाद राज्य के नौ प्रमंडलों में क्षेत्रीय शिक्षा उपनिदेशक (Regional Deputy Director of Education – R.D.D.E.) की पुनर्नियुक्ति कर दी है। इसके साथ ही राज्य के 38 में से 27 जिलों में नए जिला शिक्षा पदाधिकारियों (D.E.O.) की भी तैनाती की गई है।

इस संबंध में सोमवार को शिक्षा निदेशक (प्रशासन) मनोरंजन कुमार द्वारा अधिसूचना जारी कर दी गई। इन नियुक्तियों को राज्य के शिक्षा ढांचे को मजबूत करने और प्रशासनिक कुशलता लाने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।

प्रमंडलवार आरडीडीई नियुक्ति

  • पटना प्रमंडल – राजकुमार (पूर्व डीईओ, नालंदा)
  • कोशी प्रमंडल – अमित कुमार (पूर्व डीईओ, कटिहार)
  • मगध प्रमंडल – मो. सईद अंसारी (पूर्व डीईओ, मधेपुरा)
  • तिरहुत प्रमंडल – वीरेंद्र नारायण (पूर्व डीईओ, वैशाली)
  • मुंगेर प्रमंडल – ओम प्रकाश (पूर्व डीईओ, गया)
  • दरभंगा प्रमंडल – मो. असगर अली (पूर्व डीईओ, मुंगेर)
  • भागलपुर प्रमंडल – अहसन (पूर्व डीईओ, भोजपुर)
  • पूर्णिया प्रमंडल – कुंदन कुमार (पूर्व डीईओ, बांका)
  • सारण प्रमंडल – राजदेव राम (पूर्व डीईओ, बेगूसराय)

27 जिलों को नए जिला शिक्षा पदाधिकारी

राज्य के कई जिलों में डीईओ के रूप में नए अधिकारियों की नियुक्ति की गई है, जिनमें प्रमुख नाम हैं:

  • पटना – साकेत रंजन
  • बांका – देवनारायण पंडित
  • दरभंगा – कृष्णनंदन सदा
  • कटिहार – राहुल चंद्र चौधरी
  • अरवल – असगर आलम खां
  • सीतामढ़ी – राघवेन्द्र मणि त्रिपाठी
  • मुजफ्फरपुर – कुमार अरविंद सिन्हा
  • सारण – निशांत किशन
  • बेगूसराय – मनोज कुमार
  • भोजपुर – मानवेन्द्र कुमार राय
  • जमुई – दयाशंकर
  • नालंदा – आनंद विजय
  • शेखपुरा – तनवीर आलम
  • मधुबनी – अक्षय कुमार पांडेय
  • वैशाली – रवीन्द्र कुमार साह
  • मुंगेर – कुणाल गौरव
  • पूर्वी चंपारण (मोतिहारी) – राजन कुमार गिरि
  • गया – कृष्ण मुरारी गुप्ता
  • कैमूर – राजन कुमार
  • जहानाबाद – सरस्वती कुमारी
  • शिवहर – चंदन कुमार
  • मधेपुरा – संजय कुमार
  • सहरसा – हेमचंद्र
  • पश्चिम चंपारण (बेतिया) – रवीन्द्र कुमार
  • पूर्णिया – रवीन्द्र कुमार प्रकाश
  • नवादा – दीपक कुमार
  • बक्सर – संदीप रंजन

शिक्षा प्रशासन में नई ऊर्जा की उम्मीद

इस बड़े प्रशासनिक फेरबदल को राज्य के शैक्षणिक व्यवस्था में कार्यदक्षता, अनुशासन और पारदर्शिता सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल के रूप में देखा जा रहा है। शिक्षा विभाग के उच्चाधिकारियों का मानना है कि इससे नीति क्रियान्वयन और विद्यालय स्तर पर निगरानी प्रणाली में तेजी आएगी।