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महिला सशक्तिकरण की मिसाल बना ‘महिला संवाद कार्यक्रम’, अब तक 3.43 लाख महिलाओं ने लिया हिस्सा

ByKumar Aditya

जून 9, 2025
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भागलपुर, 09 जून 2025।बिहार सरकार द्वारा महिलाओं के सशक्तिकरण और उनकी समस्याओं को सीधे सुनने के लिए शुरू किया गया महिला संवाद कार्यक्रम समाज में सकारात्मक बदलाव की नई कहानी लिख रहा है। जिले में जीविका ग्राम संगठन स्तर पर आयोजित इस कार्यक्रम के ज़रिए अब तक 1575 स्थानों पर आयोजन हो चुका है, जिसमें 3 लाख 43 हजार से अधिक महिलाओं ने सक्रिय रूप से भागीदारी की है।

दीपिका की कहानी बनी प्रेरणा

सन्हौला प्रखंड की दीपिका कुमारी, जो अभी पांचवीं कक्षा में पढ़ाई कर रही हैं, ने मंच पर खड़े होकर मुख्यमंत्री की योजनाओं के लिए धन्यवाद दिया। उसने कहा,
“माननीय मुख्यमंत्री जी के द्वारा चलाई जा रही योजना के तहत स्कूल में मुझे किताबें, बैग और छात्रवृत्ति मिली है। इसके लिए मैं दिल से धन्यवाद करती हूँ।”
दीपिका के आत्मविश्वास से भरे शब्द उन हजारों लड़कियों की आवाज़ हैं, जिनकी ज़िंदगी इन योजनाओं से बदली है।

31 हजार आकांक्षाएँ मोबाइल एप में दर्ज

पिछले 51 दिनों से लगातार चल रहे महिला संवाद कार्यक्रमों के दौरान महिलाओं की मांगों और आकांक्षाओं को मोबाइल एप के ज़रिए दर्ज किया गया। अब तक जिले में करीब 31 हजार आकांक्षाएँ दर्ज हो चुकी हैं, जिन्हें त्वरित रूप से जिला प्रशासन और संबंधित विभागों को भेजा गया है। प्रशासन इनका निष्पादन सुनिश्चित कर रहा है।

हर दिन 30 स्थानों पर हो रहा आयोजन

प्रत्येक दिन 30 ग्राम संगठनों में यह कार्यक्रम आयोजित हो रहा है, जिसमें औसतन 7 हजार से अधिक महिलाएँ अपनी उपस्थिति दर्ज करा रही हैं।
अभी तक नाथनगर, नवगछिया, सबौर, गोराडीह, जगदीशपुर, इस्माईलपुर, खरीक, सन्हौला, शाहकुंड और सुल्तानगंज प्रखंडों में यह कार्यक्रम संचालित किया जा रहा है। जबकि बिहपुर, गोपालपुर, पीरपैंती, कहलगांव, नारायणपुर और रंगरा चौक में कार्यक्रम सफलतापूर्वक संपन्न हो चुके हैं।

पुरुष भी बढ़ा रहे भागीदारी

महिला संवाद कार्यक्रम में 27 हजार से अधिक पुरुषों ने भी सहभागिता निभाई है, जो समाज में लैंगिक समानता और सामूहिक जागरूकता का बेहतर संकेत है।

महिला संवाद से बदलाव की दिशा

जिले में कुल 1820 ग्राम संगठनों में महिला संवाद कार्यक्रम आयोजित करने का लक्ष्य निर्धारित है। सरकार की इस पहल से महिलाएँ अपनी आवाज़ को मुखरता से रख रही हैं, और सरकार भी उनकी समस्याओं व आकांक्षाओं पर त्वरित निर्णय ले रही है।

बिहार में महिला सशक्तिकरण की यह लहर एक सामाजिक क्रांति का संकेत है, जो भविष्य में महिलाओं को और सशक्त, आत्मनिर्भर और जागरूक बनाएगी।


 

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