मोतिहारी / पूर्वी चंपारण, 9 अगस्त 2025 — बिहार के पूर्वी चंपारण जिले में चर्चित महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय भूमि अधिग्रहण घोटाले में पुलिस ने बड़ी कार्रवाई करते हुए तीन आरोपियों को दबोच लिया है। आरोप है कि सरकारी जमीन अधिग्रहण के नाम पर 3 करोड़ 70 लाख 40 हजार 800 रुपये की हेराफेरी की गई थी।
2018 में दर्ज हुई थी एफआईआर, कई धाराओं में मामला
भू-अर्जन विभाग ने 14 दिसंबर 2018 को मोतिहारी नगर थाना में एफआईआर संख्या 875/2018 दर्ज कराई थी। इस मामले में भारतीय दंड संहिता की धारा 406, 420, 409, 467, 468, 471, 472, 120B, 34, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 13(1)(C) व 13(2) और आईटी एक्ट की धारा 66(C) व 66(D) के तहत केस दर्ज किया गया था।
आरोपियों में तत्कालीन अमीन जटाशंकर सिंह, दिनेश प्रसाद और ललन तिवारी सहित कुल चार लोगों के नाम शामिल थे।
गिरफ्तारी वारंट के बाद दबिश
विशेष न्यायाधीश (निगरानी), उत्तर बिहार, मुजफ्फरपुर के आदेश पर आरोपियों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी हुआ। इसके बाद पुलिस ने हरसिद्धि थाना क्षेत्र के घीवाढ़ार निवासी जटाशंकर सिंह, गोविंदापुर निवासी दिनेश प्रसाद और चन्द्रहिया निवासी ललन तिवारी को धर दबोचा।
पूछताछ के बाद न्यायिक हिरासत की तैयारी
पुलिस ने आरोपियों से लंबी पूछताछ की और अब उन्हें न्यायिक हिरासत में भेजने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। जांच में यह भी संकेत मिले हैं कि इस घोटाले में सरकारी और गैरसरकारी स्तर पर कई और लोग शामिल हो सकते हैं।
तीन करोड़ से ज्यादा की हेराफेरी का आरोप
जांच एजेंसियों के अनुसार, महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के लिए भूमि अधिग्रहण में गड़बड़ी कर सरकारी कोष से करोड़ों रुपये का दुरुपयोग किया गया। दस्तावेजों में फर्जीवाड़ा, रिकॉर्ड में हेरफेर और भुगतान में अनियमितताओं के पुख्ता सबूत मिले हैं।
पुलिस की पड़ताल जारी
मामले की गहराई से जांच के लिए पुलिस अब वित्तीय लेन-देन के दस्तावेज, बैंक अकाउंट डिटेल्स और अधिग्रहण से जुड़े फाइल रिकॉर्ड खंगाल रही है। आने वाले दिनों में और भी बड़ी गिरफ्तारियां हो सकती हैं।


