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पटना (बिहार): राष्ट्रीय जनता दल (RJD) सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव अपने 78वें जन्मदिन पर एक बार फिर विवादों में घिर गए हैं। सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो को लेकर भारतीय जनता पार्टी (BJP) और बिहार सरकार में शामिल दलित समुदाय के नेताओं ने लालू यादव पर भारत रत्न डॉ. भीमराव अंबेडकर का अपमान करने का आरोप लगाया है।

वायरल वीडियो में दिखी विवादित तस्वीर की घटना

बताया जा रहा है कि वायरल वीडियो में एक व्यक्ति डॉ. अंबेडकर की तस्वीर को लालू यादव के पैरों के पास छुआकर हटा रहा है। इस दृश्य को लेकर BJP ने कड़ा ऐतराज जताया है और इसे दलित समाज का अपमान बताया है।

डॉ. संजय जायसवाल का तीखा हमला

BJP सांसद और बिहार के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ. संजय जायसवाल ने कहा,

“लालू यादव ने ना सिर्फ बाबासाहेब का अपमान किया है, बल्कि पूरे दलित समाज को ठेस पहुंचाई है। उनके जंगलराज में अपराधियों को संरक्षण मिला करता था और अब वे सार्वजनिक रूप से संविधान निर्माता की तस्वीर का अनादर कर रहे हैं। बिहार की जनता 2025 के चुनाव में इसका जवाब देगी।”

मंत्री जनक चमार ने उठाया ‘जंगलराज’ का मुद्दा

छपरा में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान बिहार सरकार के मंत्री जनक चमार ने भी इस घटना की कड़ी आलोचना की। उन्होंने कहा:

“सारण कमिश्नरी से लालू यादव के जंगलराज की शुरुआत हुई थी। लाठी, बम और तलवार के सहारे सत्ता चलाई गई। अब अपने जन्मदिन पर तलवार से केक काटना और बाबासाहेब की तस्वीर को पैरों में रखना, यह उनके असली विचारों को दर्शाता है। लाखों दलित और पिछड़े समाज ने यह ठान लिया है कि लालू के जंगलराज को दोबारा आने नहीं देंगे।”

‘इस पाप की सज़ा भुगतनी होगी’ – मंत्री कृष्णनन्दन पासवान

इस मुद्दे पर भाजपा कोटे से मंत्री कृष्णनन्दन पासवान ने भी तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा:

“बाबासाहेब केवल एक व्यक्ति नहीं, बल्कि दलितों के मसीहा हैं। लालू यादव ने उनके साथ जो किया, उसका दंड उन्हें और उनके परिवार को भुगतना होगा। अब लोग उनके बेटे तेजस्वी को भी दलित बस्तियों में घुसने नहीं देंगे।”

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क्या यह सिर्फ एक प्रतीकात्मक चूक या राजनीतिक रणनीति?

इस घटनाक्रम ने बिहार की राजनीति में नया तूफ़ान खड़ा कर दिया है। विपक्ष इसे “सुनियोजित अपमान” बता रहा है, जबकि RJD की तरफ से फिलहाल कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।