
मुजफ्फरपुर: बिहार के उप मुख्यमंत्री सह कृषि मंत्री विजय कुमार सिन्हा की अध्यक्षता में मुजफ्फरपुर में “किसान कल्याण संवाद सह युवा किसान सम्मान समारोह” का भव्य आयोजन किया गया। कार्यक्रम में सांसद वीणा देवी, पंचायती राज मंत्री केदार प्रसाद गुप्ता और कृषि विभाग के सचिव संजय कुमार अग्रवाल भी मौजूद रहे।
बीज प्रसंस्करण इकाई का उद्घाटन, किसानों को मिला नवाचार का मंच
इस अवसर पर उप मुख्यमंत्री ने मुशहरी (मुजफ्फरपुर) में 500 मैट्रिक टन क्षमता वाली बीज प्रसंस्करण इकाई और गोदाम का उद्घाटन किया। साथ ही उन्होंने राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र का भ्रमण कर जलवायु परिवर्तन के मद्देनज़र लीची उत्पादन की नई तकनीकों को देखा और पर्यावरण संरक्षण के लिए पौधारोपण भी किया।
“जय अनुसंधान, जय नवाचार” के संकल्प के साथ आगे बढ़ रहा है बिहार
अपने संबोधन में श्री सिन्हा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में कृषि क्षेत्र में हुए बदलावों को रेखांकित किया। उन्होंने बताया कि:
- PM किसान सम्मान निधि से हर साल किसानों को ₹6,000 की सीधी सहायता मिल रही है।
- ड्रोन तकनीक, प्राकृतिक खेती, और एफपीओ के ज़रिए खेती लाभ का व्यवसाय बन रही है।
- 1.85 लाख करोड़ रुपये का कृषि बजट अब तक का सबसे बड़ा आवंटन है।
- 15,000 एफपीओ, 12,000 करोड़ के जैविक पैकेज और डिजिटल एग्री मिशन किसानों को आत्मनिर्भर बना रहे हैं।
युवा किसानों के नवाचारों को मिली पहचान
कार्यक्रम में बिहार के कई नवाचारी किसानों को सम्मानित किया गया। संवाद के दौरान किसानों ने अपनी समस्याएं और सुझाव साझा किए:
- नीरज कुमार ने मक्का उत्पादन को लेकर उद्योग स्थापना की मांग रखी।
- सोनू निगम कुमार ने परवल की नई किस्मों पर हो रहे शोध की जानकारी दी।
- राजेश रंजन ने गैर-रैयत किसानों के लिए प्राकृतिक खेती योजनाओं में प्राथमिकता देने की मांग की।
- राजू रंजन कुमार ने शेडनेट में खीरे की खेती और डिजिटल रिकॉर्ड-कीपिंग के अनुभव साझा किए।
बिहार का किसान बन रहा है “सर्वदाता”
उप मुख्यमंत्री ने कहा, “बिहार का किसान आज केवल अन्नदाता नहीं, बल्कि सर्वदाता बन चुका है।” जैविक खेती, मशरूम उत्पादन, मधुमक्खी पालन, मत्स्य पालन और बागवानी जैसे क्षेत्रों में बिहार अग्रणी बन रहा है। उन्होंने युवा किसानों को “कृषि क्रांति के नायक” बताते हुए उनके योगदान की सराहना की।
कार्यक्रम के अंत में किसानों से आह्वान किया गया कि वे वैज्ञानिक विधियों को अपनाएं, सरकारी योजनाओं से जुड़ें और कृषि को भविष्य का मजबूत आधार बनाएं।