
तीव्र लोकप्रियता – छह महीने में 50 हजार से अधिक पर्यटक पहुंचे
पटना, 3 जुलाई 2025।
राजधानी पटना में बना बापू टॉवर अब केवल एक स्मारक नहीं, बल्कि महात्मा गांधी के जीवन-दर्शन का जीवंत केंद्र बन गया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की दूरदृष्टि का परिणाम यह टॉवर, आज न सिर्फ राज्य की सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है, बल्कि पर्यटन के क्षेत्र में भी आकर्षण का बड़ा केंद्र बनता जा रहा है।
हर कोना सुनाता है बापू की कहानी
छह मंजिला इस बापू टॉवर की पांच मंजिलें पूरी तरह गांधीजी के जीवन, आदर्शों और आंदोलनों को समर्पित हैं।
- चंपारण सत्याग्रह
- दक्षिण अफ्रीका में नस्लभेद का अनुभव
- स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख पड़ाव
इन सबको 3-डी तकनीक, ऑडियो-विजुअल प्रजेंटेशन, और इंटरैक्टिव माध्यमों से प्रस्तुत किया गया है, जो दर्शकों को एक भावनात्मक और ऐतिहासिक यात्रा पर ले जाता है।
पर्यटकों की संख्या लगातार बढ़ रही
जून 2025 तक की रिपोर्ट के मुताबिक:
- अब तक 52,261 पर्यटक बापू टॉवर देख चुके हैं।
- केवल जून महीने में 14,610 लोग पहुंचे, जो इसकी बढ़ती लोकप्रियता को दर्शाता है।
इस आंकड़े से साफ है कि यह स्थल न केवल शिक्षा और जागरूकता का केंद्र बन रहा है, बल्कि बिहार के पर्यटन मानचित्र पर भी तेजी से उभर रहा है।
“मोहन से महात्मा तक” – नया दृष्टिकोण
बापू टॉवर में गांधीजी की व्यक्तिगत और सार्वजनिक जीवन यात्रा को ‘मोहन से महात्मा’ के सफर के रूप में प्रस्तुत किया गया है।
- अत्याधुनिक 3-डी आकृतियां
- चलचित्र व मॉडल्स
- इंटरैक्टिव प्रदर्शनियां
इन माध्यमों से नई पीढ़ी को गांधीजी की सोच, विचार और मूल्य आधारित जीवन से परिचित कराया जा रहा है।
हर उम्र के दर्शकों को मिल रहा अनुभव
यह स्थान अब बच्चों, युवाओं, शोधकर्ताओं और बुजुर्गों सभी के लिए अनुभव का केंद्र बन गया है।
- छात्र यहां इतिहास को जीवंत रूप में देख पा रहे हैं।
- शिक्षक व अभिभावक इसे शैक्षणिक भ्रमण का महत्वपूर्ण केंद्र मान रहे हैं।
- आम पर्यटक इसे प्रेरणा और गौरव का स्थल मानकर यहां आ रहे हैं।
बापू टॉवर अब बिहार के लिए गौरव का प्रतीक बन गया है। यह सिर्फ एक इमारत नहीं, बल्कि महात्मा गांधी की जीवंत विरासत है, जो आज की पीढ़ी को उनके विचारों, मूल्यों और संघर्षों से जोड़ रहा है।
‘खादी, क्रांति और करुणा’ की यह कहानी अब हजारों दिलों तक पहुंच रही है – जागरूकता, शिक्षा और प्रेरणा का संगम बनकर।