जितिया व्रत 2024: मां के संघर्ष और समर्पण के बल पर पापड़ बेचने वाला और ऑटो वाला बने देश के प्रसिद्ध शिक्षक…
जितिया व्रत 2024: मां के संघर्ष और समर्पण के बल पर पापड़ बेचने वाला और ऑटो वाला बने देश के प्रसिद्ध शिक्षक, मां और संतान का नाता बहुत गहरा और संतान को धरती पर जन्म लेने से पहले का होता है।
हर साल अपनी संतान की लंबी उम्र के लिए महिलाएं जितिया का व्रत रखती है। यह व्रत बेहद कठिन माना जाता है, जो आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है। जितिया व्रत को कई जगहों पर जिउतिया व जीवित्पुत्रिका व्रत के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से संतान के ऊपर आया संकट टल जाता है और आयु में वृद्धि होती है।
जिंदगी मिलती है कुछ कर गुजरने के लिए ही, अगर इसे सलिके से संवारा जाए तो वहीं आगे चलकर इतिहास बन जाती है, लेकिन उस इतिहास के बनने से पहले कितने संघर्ष के रास्तों से गुजरना पड़ता है।
बिहार की जयंती देवी और आरती देवी ने संघर्ष के दम पर अपने बेटों को बनाया देश का गौरव ।
‘मां’ जितना संक्षिप्त शब्द, उसका सार उतना ही विशाल है। मां ही है जो अपनी औलाद पर कोई मुश्किल आने ही नहीं देती। फिर चाहे मुश्किलों की राह में उसे खुद ही क्यों न चलना पड़े। हम ऐसी ही माताओं को नमन कर रहे हैं, जिन्होंने खुद अकेले दम पर अपने बच्चों की जिंदगी संवारी। कांटों भरी राह पर खुद चलीं लेकिन बच्चों को इसका एहसास तक नहीं होने दिया। आइए रूबरू कराते है कुछ ऐसी ही माताओं से जो बिना पति के भी बच्चों को अकेले संभाल बनाया देश का प्रसिद्ध शिक्षक। जितिया पर्व पर आज सपुर 30 फेम आनंद कुमार की माँ “जयंती देवी” और मैथमेटिक्स गुरु फेम आरके श्रीवास्तव की मां “आरती देवी” के संघर्षो से आपको रूबरू कराते हैं।
आइए जानते है इनके बारे में….
(1) जयंती देवी (आनंद कुमार की मां)….
पति के गुजरने के बाद खुद मां जयंती देवी पापड़ बनाती और आनंद उसे बेचते। सुपर 30 फेम आनंद कुमार हमेशा कहते हैं कि आज मैं जो कुछ भी हु मां के आशीर्वाद और उनके दिखाए रास्ते पर चलकर ही हूं। आज वैसे माताओं को हम सभी प्रणाम करते हैं जिन्होंने अपने संघर्ष के बल पर अपने बच्चों को समाज मे युवायों के लिए रोल मॉडल बनाया। शिक्षा के क्षेत्र में पटना के आनंद कुमार और उनकी संस्था ‘सुपर 30’ को कौन नहीं जानता। वर्ष 2019 में बॉलीवुड ने उनके जीवन पर बायोपिक भी बनाया। शिक्षा के क्षेत्र में बेहतर कार्य हेतु आनंद कुमार कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कारों से भी सम्मानित हो चुके है।
(2) आरती देवी (आरके श्रीवास्तव की मां)….
1 रु गुरू दक्षिणा में पढाकर 950 से अधिक स्टूडेंट्स आईआईटियन बनाकर प्रसिद्धि पा चुके आरके श्रीवास्तव की जीवनी भी काफी प्रेरणादायक है।
जब आरके श्रीवास्तव बचपन में पांच वर्ष के थे तभी उनके पिता परास नाथ लाल इस दुनिया को छोड़ चले गये। एक पिता के न होने से एक परिवार को कितनी तकलीफें आर्थिक और सामाजिक रूप से होती हैं ये सभी जानते हैं। आरके श्रीवास्तव की मां आरती देवी ने काफी गरीबी के दौर से गुजरते हुए अपने बेटे रजनी कांत श्रीवास्तव (आरके श्रीवास्तव ) को पढ़ा लिखा एक काबिल इंसान बनाया। आरके श्रीवास्तव बताते हैं कि मां के आशिर्वाद के बिना कोई भी उपलब्धि को पाना असंभव है।
अपनी सफलता के बारे में चर्चा के दौरान मीडिया से आरके श्रीवास्तव हमेशा बताते रहे है की मां ने पापा की कमियां कभी हमें महसूस होने नहीं दिया। वह अपने क्षमता से भी बढ़कर हर वह जरूरी आवश्यकता की हमें बस्तुए , काॅपी – किताबें आदि उपलब्ध करातीं जो हमारी जरूरत और मांगें रहती। आरके श्रीवास्तव ने बताते है की आज मैं जो कुछ भी हुं वह मां के आशीर्वाद से ही हूं ।
कौन है देश का लोकप्रिय शिक्षक आरके श्रीवास्तव…
भारत के प्रसिद्ध शिक्षक आरके श्रीवास्तव जो एक क्रांतिकारी की तरह शिक्षा जगत को बदलने में लगे हुए है।
आज के समय में आरके श्रीवास्तव सर के नाम से वाकिफ भला कौन नही होगा,
दुनिया के मानचित्र पर मैथेमेटिक्स गुरु आर.के. श्रीवास्तव का नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं है। ये भारत के एक मात्र ऐसे शिक्षक होंगे जिनका कोई हेटर्स नहीं मिलेगा,जिन्होंने देश के हर उस बच्चे की मदद करने की सोची जो पढ़ना चाहता है। इन्होंने सिर्फ 1 रु फीस में पढाकर 950 से अधिक स्टूडेंट्स को IITIAN बना चुके है। भारत के प्रतिष्ठित अखबारों और न्यूज पोर्टल पर इनके बारे में खबरें हमेशा छपती ही रहती है। इनका नाम “इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स” और “वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स” में भी दर्ज हो चुका है। Google पर सिर्फ Mathematics Guru सर्च करने भर से ही पर सबसे टॉप पर आरके श्रीवास्तव सर का नाम सामने आ जाता है।
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