
भागलपुर | 6 जुलाई: जीवन जागृति सोसायटी द्वारा सर्प दंश जागरूकता एवं बचाव रथ को आज भागलपुर से हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया। इस अभियान का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में सर्पदंश से होने वाली मौतों को रोकना और लोगों को वैज्ञानिक एवं आधुनिक इलाज के प्रति जागरूक करना है।
इस रथ को सिविल सर्जन डॉ. अशोक कुमार, आईसीआईसीआई बैंक के शाखा प्रबंधक श्री तिवारी और संस्था के अध्यक्ष डॉ. अजय कुमार सिंह ने संयुक्त रूप से रवाना किया।
सांप के काटने से हर साल हजारों मौतें
संस्था के अध्यक्ष व शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. अजय कुमार सिंह ने बताया कि बिहार में हर साल करीब 5000 लोगों की मौत सर्पदंश के कारण हो जाती है, विशेषकर बरसात के मौसम में यह घटनाएं तेजी से बढ़ती हैं। उन्होंने कहा कि अधिकांश मामलों में लोगों की मृत्यु केवल इस कारण होती है कि वे झाड़-फूंक के चक्कर में पड़कर अस्पताल नहीं पहुंचते या देर कर देते हैं।
डॉ. सिंह ने बताया कि सिर्फ 15% सांप ही विषैले होते हैं, और उनमें से भी करीब आधे मामलों में ड्राई बाइट होता है, यानी काटने के बावजूद शरीर में विष नहीं प्रवेश करता। ऐसे मामलों में झाड़-फूंक करने वाले लोग वाहवाही लूटते हैं, और जब कोई विषैला सांप काटता है, तब इलाज में देरी जानलेवा साबित होती है।
झाड़-फूंक नहीं, अस्पताल जाएं
उन्होंने अपील की कि सर्पदंश के बाद तुरंत अस्पताल जाएं, जहाँ एंटी-स्नेक वेनम के ज़रिये इलाज संभव है। यदि विष नहीं फैला हो, तो 24 घंटे के भीतर मरीज को घर भेजा जा सकता है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि पुराने समय में रस्सी से कसकर बांधने की जो परंपरा थी, वह अक्सर हानिकारक सिद्ध होती है। इससे न केवल अंग सड़ने की संभावना होती है, बल्कि विष का प्रवाह तेज़ होने पर अचानक हृदयगति रुक सकती है।
आपात स्थिति में क्या करें
डॉ. सिंह ने बताया कि यदि किसी को साँप काट ले तो:
- उसे चलने न दें
- किसी चादर और लाठी-बाँस की मदद से स्ट्रेचर बनाकर अस्पताल ले जाएं
- कटे हुए स्थान को स्प्लिंट करें
- और तुरंत रेफरल अस्पताल या विष चिकित्सा सुविधा युक्त केंद्र पहुंचाएं
युवाओं ने निभाई अहम भूमिका
इस जागरूकता अभियान में सौरव, संतोष गुप्ता, धर्मेंद्र, चंदन, मृत्युंजय और अखिलेश ने सक्रिय सहयोग किया। यह रथ ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर लोगों को सर्पदंश के सही उपचार और बचाव के उपाय बताएगा।