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क्या एक बार फिर नीतीश कुमार और बीजेपी के बीच खेल शुरू हो गया है? मणिपुर को लेकर नीतीश कुमार की पार्टी के एक फैसले से ऐसे ही सवाल उठने शुरू हो गये. मणिपुर जेडीयू ने राज्यपाल को पत्र लिखकर वहां की बीजेपी सरकार से अपना समर्थन वापस लेने का ऐलान किया. लेकिन कुछ घंटे बाद पार्टी ने यू टर्न मार लिया. दिल्ली से जेडीयू का आधिकारिक बयान जारी किया गया, जिसमें अलग ही जानकारी दी गयी.

जेडीयू ने प्रदेश अध्यक्ष को हटाया

मणिपुर मामले में जेडीयू प्रदेश अध्यक्ष के पत्र के बाद पार्टी के राष्ट्रीय़ प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद ने मीडिया में बयान जारी किया है. उन्होंने कहा कि मणिपुर की बीजेपी सरकार से समर्थन लेने की बात भ्रामक है. वहां के प्रदेश अध्यक्ष क्ष. विरेन सिंह को पहले ही पद से हटाया जा चुका है. जो पद पर ही नहीं है, वह पार्टी की ओर से पत्र कैसे लिख सकता है. बीजेपी सरकार को जेडीयू का समर्थन पहले की तरह जारी है. दोनों पार्टियों में किसी तरह का कोई मतभेद है ही नहीं.

मणिपुर का बखेड़ा

हालांकि 60 सीटों वाली मणिपुर विधानसभा में बीजेपी के पास बहुमत से कहीं ज्यादा सीट है. बीजेपी के पास 32 सीटें हैं. सरकार चलाने के लिए बीजेपी को जेडीयू के समर्थन की जरूरत नहीं है. लेकिन, प्रदेश जेडीयू अध्यक्ष के पत्र से खलबली मची और इसे बीजेपी को धमकी देने वाला कदम माने जाने लगा.

बीजेपी ने कर ली थी सेंधमारी

दरअसल, मणिपुर में करीब तीन साल पहले विधानसभा चुनाव हुए थे. उसमें जेडीयू के 6 विधायक चुनाव जीत कर आये थे. कुछ महीने बाद बीजेपी ने जेडीयू में सेंधमारी करते हुए उसके पांच विधायकों को अपने साथ मिला लिया था. दिलचस्प बात ये थी कि उस समय बिहार में जेडीयू और बीजेपी का गठबंधन था, फिर भी बीजेपी ने अपनी सहयोगी पार्टी को तोड़ दिया था.

बुधवार को जेडीयू के मणिपुर प्रदेश अध्यक्ष की हैसियत से क्ष. विरेन सिंह ने राज्यपाल को पत्र लिखा. उसमें कहा गया कि 2022 में जेडीयू के पांच विधायकों के बीजेपी में शामिल किये जाने के खिलाफ विधानसभा अध्यक्ष के पास याचिका लंबित है. बाद में अगस्त 2022 में जेडीयू विपक्षी इंडिया गठबंधन में शामिल हो गया. इसके बाद मणिपुर के एक मात्र जेडीयू विधायक ने बीजेपी सरकार का विरोध का फैसला लिया था. मणिपुर विधानसभा में जेडीयू के विधायक मो. अब्दुल नासिर का सीटिंग अरेंजमेंट विपक्षी विधायकों के साथ किया गया था.

राज्यपाल को लिखे पत्र में कहा गया कि पार्टी के स्टैंड में कोई बदलाव नहीं आया है. वह बीजेपी की मौजूदा सरकार के खिलाफ है. ऐसे में विधानसभा के अंदर उसके विधायक के सीटिंग अरेंजमेंट में कोई बदलाव नहीं किया जाये और उन्हें विपक्षी विधायकों के साथ बैठने की जगह बरकरार रखी जाये.

चर्चाओं का बाजार गर्म

मणिपुर में जेडीयू के समर्थन वापस लेने वाले पत्र के सामने आने के बाद इसके कई मायने निकाले जाने लगे. सवाल ये उठ रहा था कि आखिरकार जेडीयू को ये लिखने की क्या जरूरत आ पड़ी कि वह मणिपुर में कांग्रेस और दूसरी विपक्षी पार्टियों के साथ है. चर्चा हो रही थी कि ये प्रेशर पॉलिटिक्स है. बिहार में इसी साल विधानसभा चुनाव होने हैं. ऐसे में नीतीश की पार्टी के इस फैसले को भाजपा पर सीट बंटवारे के लिए दबाव की रणनीति के तौर पर भी देखा जा रहा था.लेकिन आखिरकार जेडीयू ने ही इस पर सफाई दी. जेडीयू ने कहा कि बीजेपी के साथ कहीं कोई विवाद है ही नहीं. मणिपुर में भी उसके एकमात्र विधायक बीजेपी सरकार का समर्थन करते रहेंगे.

 

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