नई दिल्ली। भारत ने शुक्रवार को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) द्वारा पाकिस्तान को 1.3 बिलियन डॉलर का नया ऋण देने के प्रस्ताव पर कड़ी आपत्ति जताई है। भारत ने आतंकवाद के वित्तपोषण की आशंका जताते हुए कहा कि पाकिस्तान का रिकॉर्ड इस मामले में बेहद खराब है। इसी कारण भारत ने IMF बोर्ड की अहम बैठक में मतदान से दूरी बनाई।
IMF बैठक में भारत की सख्त आपत्ति
शुक्रवार को IMF की विस्तारित निधि सुविधा ऋण कार्यक्रम की समीक्षा बैठक में पाकिस्तान को दी जाने वाली वित्तीय सहायता पर विचार हुआ। भारत ने इसमें हिस्सा लिया, लेकिन स्पष्ट रूप से विरोध जताते हुए मतदान से अलग रहा।
भारत की ओर से कहा गया कि:
“सीमा पार आतंकवाद के लिए वित्तीय सहायता का दुरुपयोग करने का पाकिस्तान का इतिहास रहा है। ऐसे में IMF द्वारा दिए गए फंड का इस्तेमाल गलत हाथों में जा सकता है।”
35 साल में 28 बार कर्ज ले चुका है पाकिस्तान
भारत ने पाकिस्तान की आर्थिक साख और विश्वसनीयता पर सवाल उठाए। आंकड़ों के मुताबिक:
- 1989 से अब तक के 35 वर्षों में पाकिस्तान को 28 वर्षों में IMF से कर्ज मिला है।
- IMF की शर्तों का पालन करने में पाकिस्तान का ट्रैक रिकॉर्ड बेहद खराब रहा है।
- पाकिस्तान ने खुद स्वीकारा है कि उसे अब तक करीब 8,500 करोड़ रुपये IMF से मिल चुके हैं।
भारत का कहना है कि लगातार कर्ज दिए जाने के बावजूद पाकिस्तान ने सुधार लागू नहीं किए हैं, और उसका ध्यान आतंकियों को पनाह देने और उन्हें संसाधन मुहैया कराने पर अधिक रहा है।
भारत की चिंता जायज़: विशेषज्ञों की राय
अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकारों का मानना है कि भारत की चिंता वैध और सुरक्षा आधारित है। पाकिस्तान का इतिहास यह बताता है कि वह अंतरराष्ट्रीय सहायता का पारदर्शी उपयोग नहीं करता, और यह पैसा आतंकवादी गतिविधियों में भी प्रयोग हो सकता है।
मुख्य बिंदु एक नजर में:
- भारत ने IMF की बैठक में मतदान से खुद को अलग रखा
- पाकिस्तान को 1.3 बिलियन डॉलर कर्ज देने का प्रस्ताव
- भारत ने आतंकवाद फंडिंग की आशंका जताई
- पाकिस्तान का कर्ज वापसी और शर्त पालन का रिकॉर्ड बेहद कमजोर
- पिछले 35 साल में 28 बार IMF से ले चुका है कर्ज