
भागलपुर, कहलगांव।11वें अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर कहलगांव स्थित विक्रमशिला महाविहार के प्राचीन खंडहरों में बड़ी संख्या में स्थानीय लोगों ने योगाभ्यास किया। ऐतिहासिक स्थल की पृष्ठभूमि में आयोजित यह कार्यक्रम विशेष आकर्षण का केंद्र रहा।
कार्यक्रम में भाग ले रहे कहलगांव निवासी चंदन चंद्राकर ने बताया कि पाल वंश के राजा धर्मपाल ने आठवीं सदी में इस विश्वविद्यालय की स्थापना की थी। उन्होंने कहा:
“विक्रमशिला महाविहार में योग और ध्यान के साथ नरदेह शास्त्र की भी पढ़ाई होती थी। अब जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विक्रमशिला को केंद्रीय विश्वविद्यालय बनाने की घोषणा की है, तो यह स्थल एक बार फिर वैभवशाली अतीत की ओर लौटेगा।”
ऐतिहासिकता और चेतना का संगम
खंडहरों के बीच योग करते प्रतिभागियों ने जब सूर्य नमस्कार, प्राणायाम और ध्यान किया, तो ऐसा प्रतीत हुआ मानो सदियों पुरानी गुरुकुल परंपरा पुनर्जीवित हो रही हो। लोगों ने इस आयोजन को इतिहास और स्वास्थ्य के संगम का प्रतीक बताया।
स्थानीय सहभागिता रही उल्लेखनीय
कार्यक्रम में स्थानीय नागरिकों, छात्रों और वरिष्ठ जनों की उल्लेखनीय भागीदारी रही। प्रतिभागियों ने कहा कि ऐसे आयोजनों से सांस्कृतिक चेतना को बल मिलता है और आने वाली पीढ़ियों को अपने इतिहास से जुड़ने का अवसर मिलता है।