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‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ पर गृह मंत्री अमित शाह की बड़ी घोषणा

ByLuv Kush

सितम्बर 17, 2024
20240805272L enMZkxb 1 jpgNew Delhi, Aug 5 (ANI): Prime Minister Narendra Modi meets with Cabinet Committee on Security (CCS), Union Ministers S Jaishankar, Amit Shah, Nirmala Sitharaman, Rajnath Singh and others, gets a brief on the situation in Bangladesh, at 7, Lok Kalyan Marg, in New Delhi on Monday. (ANI Photo)

गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को कहा कि भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार अपने मौजूदा कार्यकाल में ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ को लागू करेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल के 100 दिन पूरे होने के उपलक्ष्य में शाह ने कहा, “हमारी योजना इस सरकार के कार्यकाल में एक राष्ट्र, एक चुनाव को लागू करने की है। संवाददाता सम्मेलन में शाह के साथ सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव भी मौजूद थे।

पिछले महीने स्वतंत्रता दिवस के अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ की जोरदार वकालत की थी और कहा था कि बार-बार चुनाव देश की प्रगति में बाधा उत्पन्न कर रहे हैं। मोदी ने लाल किले की प्राचीर से अपने संबोधन में कहा था, “राष्ट्र को ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ के लिए आगे आना होगा।” एक राष्ट्र, एक चुनाव’ भाजपा द्वारा लोकसभा चुनाव के लिए अपने घोषणापत्र में किए गए प्रमुख वादों में से एक है।

इस साल मार्च में पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय पैनल ने पहले कदम के रूप में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव कराने के 100 दिनों के भीतर स्थानीय निकाय चुनाव कराने की सिफारिश की थी। इसके अलावा, विधि आयोग 2029 से शुरू होने वाले सभी तीन स्तरों की सरकार – लोकसभा, राज्य विधानसभाओं और स्थानीय निकायों जैसे नगर पालिकाओं और पंचायतों के लिए एक साथ चुनाव कराने की सिफारिश कर सकता है और सदन में अविश्वास प्रस्ताव पारित होने या सदन में बहुमत न होने जैसी स्थिति में एकता सरकार के लिए प्रावधान कर सकता है।

कोविंद पैनल ने एक साथ चुनाव कराने के लिए कोई समय सीमा निर्दिष्ट नहीं की है। इसने पैनल की सिफारिशों के क्रियान्वयन पर विचार करने के लिए एक ‘कार्यान्वयन समूह’ के  गठन का प्रस्ताव रखा है। पैनल ने 18 संवैधानिक संशोधनों की सिफारिश की है, जिनमें से अधिकांश को राज्य विधानसभाओं द्वारा अनुसमर्थन की आवश्यकता नहीं होगी।

हालांकि, इसके लिए कुछ संविधान संशोधन विधेयकों की आवश्यकता होगी जिन्हें संसद द्वारा पारित करने की आवश्यकता होगी।


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