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8 साल की उम्र में नाराज होकर छोड़ा था घर, 16 साल बाद फेसबुक से ढूंढा अपना घर

ByKumar Aditya

दिसम्बर 19, 2024
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बगहा: बिहार के पश्चिम चंपारण जिला अंतर्गत बगहा के पिपरासी में एक अजीबोगरीब घटना सामने आई है. पिपरासी गांव में 16 साल पहले गुम हुआ बेटा आखिरकार घर लौट आया. परिजन उसकी जिंदगी की आस छोड़ चुके थे. सोशल मीडिया की ताकत ने चमत्कार किया. फेसबुक के जरिए गुमशुदा बेटे ने अपने गांव के लोगों को पहचाना और फिर अपनों के बीच लौट आया. जिसके बाद घर परिवार और गांव के लोगों में हर्ष का माहौल है.

क्या है मामला

पूरा मामला बगहा अनुमंडल अंतर्गत गंडक दियारा पार के पिपरासी प्रखंड का है. पिपरासी पंचायत के परसौनी गांव निवासी मनीष गिरी बुधवार की देर शाम 16 वर्ष बाद अपने गांव वापस लौट आया. उमेश गिरी ने बताया कि मेरा 8 वर्षीय पुत्र वर्ष 2008 में घर से नाराज होकर निकल गया. उसके बाद हमलोगों ने काफी खोजबीन की. वर्षों बाद जब वह नहीं मिला तब हमने उसके जीवित होने और घर वापस लौटने की आस छोड़ दी. 16 वर्षों बाद उसे जीवित अपने साथ देख काफी खुशी हो रही है.

भागकर कहां गया

घर लौट कर आए युवक मनीष गिरी ने बताया कि मैं घर से नाराज हो कर भाग गया था. इस दौरान ट्रेन से बैंगलौर पहुंच गया. कुछ दिनों तक वहां इधर उधर घूमते रहा. बाद में बिल्डिंग का काम करने वालों के साथ लेबर का काम करते करते बिल्डिंग का मिस्त्री हो गया. मुझे सिर्फ अपने पंचायत और पिता का नाम याद था. जिला और घर पता नहीं था. इसी क्रम में लगभग एक माह पूर्व फेसबुक पर अपने पंचायत के मुखिया और बीडीसी का प्रोफाइल देखा. तब मुझे आस जगी कि शायद यह मेरा पंचायत और गांव हो सकता है.

“फेसबुक के माध्यम से अपने यहां के जनप्रतिनिधियों से बात की. अपने पिता के बारे में जानकारी लिया. जब मुझे पता चला कि मेरे माता पिता जिंदा है तो जनप्रतिनिधियों से एड्रेस लेकर घर पहुंचा. जहां मुझे जिंदा देख परिजन खुशी से झूमने लगे.”- मनीष गिरी, 16 वर्ष बाद घर लौटा युवक

रुक नहीं रहे थे खुशी के आंसू

युवक के गांव लौटने की खबर इलाके में आग की तरह फैल गई. उसके घर पर ग्रामीण समेत स्थानीय जनप्रतिनिधि भी पहुंच गए. वापस लौटे बेटा को देख पिता उमेश गिरी और माता नीतू गिरी के आंखों से आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहा था. जिन जनप्रतिनिधियों से मनीष ने एड्रेस और अपने माता पिता के बारे में जानकारी ली थी उसने उनसे भी नहीं बताया था कि मैं उनका बेटा हूं. ग्रामीण और परिजनों के लिए यह एक सरप्राइज़ था.

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