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मुख्यमंत्री सिर्फ नियुक्ति पत्र नहीं, बाँट रहे हैं आर्थिक और सामाजिक समृद्धि की सौगात

शिक्षक, सिपाही और राजस्व कर्मियों की बहाली ने रोजगार के नए द्वार खोले


पटना, 3 जुलाई 2025: राज्य सरकार ने सरकारी नियुक्तियों को केवल नौकरी तक सीमित नहीं रखा है, बल्कि इसे समग्र विकास और सामाजिक बदलाव का माध्यम बना दिया है। पिछले एक वर्ष में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 1.40 लाख से अधिक युवाओं को सरकारी नियुक्ति पत्र सौंपे हैं, जिसमें 110,000 शिक्षक, 21,000 सिपाही और लगभग 10,000 राजस्व कर्मी शामिल हैं।

सरकारी नौकरियों में आरक्षण नीति का लाभ समाज के वंचित, पिछड़े और दलित वर्गों तक पहुंचा है, जिससे सामाजिक न्याय की अवधारणा धरातल पर उतरी है।


समाज को मिला समृद्धि का तोहफा

मुख्यमंत्री द्वारा नियुक्ति पत्र वितरण कार्यक्रमों के माध्यम से सूबे में आर्थिक और सामाजिक समृद्धि की नई इबारत लिखी जा रही है। इन बहालियों से न सिर्फ लाखों परिवारों की आय बढ़ी है, बल्कि राज्य की प्रति व्यक्ति आय, खपत क्षमता, और सकल राज्य घरेलू उत्पाद (GSDP) में भी सकारात्मक प्रभाव पड़ा है।


सरकारी कर्मियों की संख्या में डेढ़ गुना से अधिक वृद्धि

बीते दो-तीन वर्षों में राज्य सरकार ने लगभग 5 लाख युवाओं को नौकरी दी है।

  • वित्त विभाग के सीएपएमएस (Comprehensive Financial Management System) के आंकड़ों के अनुसार, सिर्फ एक साल में नियमित कर्मियों की संख्या दोगुनी हो गई है।
  • वर्तमान में राज्य में लगभग 7 लाख नियमित कर्मी हैं।
  • संविदा और अन्य श्रेणियों के कर्मियों को जोड़ दें तो यह संख्या डेढ़ गुना हो चुकी है।

अर्थशास्त्रियों की नज़र में यह बदलाव क्या मायने रखता है?

प्रो. दीपक कुमार बेहरा (एनआईटी, पटना):

“सरकारी नौकरी का सीधा असर न सिर्फ उस व्यक्ति के जीवन स्तर पर पड़ता है, बल्कि इसका व्यापक प्रभाव पूरे समाज पर होता है। आय में वृद्धि से सामाजिक सुरक्षा बढ़ती है और राज्य का मानव विकास सूचकांक भी बेहतर होता है।”

डॉ. बक्शी अमित कुमार सिन्हा (बिहार लोक वित्त एवं नीति संस्थान):

“सरकारी नियुक्तियों से दोहरा लाभ होता है—रोजगार से युवाओं को स्थिरता मिलती है, वहीं विभागीय कार्य संस्कृति भी बेहतर होती है। इससे योजनाओं का क्रियान्वयन तेज होता है और राज्य की अर्थव्यवस्था दूसरे स्तर पर प्रवेश करती है।”

सरकारी नौकरियों की इस अभूतपूर्व बहाली ने न केवल लाखों परिवारों को सशक्त किया है, बल्कि राज्य को विकसित बिहार के रास्ते पर तेजी से अग्रसर कर दिया है।

यह सिर्फ नियुक्ति नहीं, नए बिहार की नींव है।