बांका | 31 मई 2025:बिहार के बांका जिले के दोमुहान पंचायत अंतर्गत गौरीपुर गांव ने आजादी के 77 साल बाद एक ऐतिहासिक बदलाव देखा है। वह गांव, जहाँ की महिलाएं अब तक नदी की रेत खोदकर ‘चुआरी’ से पीने का पानी निकालने को मजबूर थीं, अब हर घर में नल से शुद्ध पेयजल पहुंच रहा है — और वह भी रिकॉर्ड 15 दिनों के भीतर।
एक समय था जब रेत से टपकती थी ज़िंदगी
गौरीपुर की पेयजल समस्या दशकों पुरानी थी। ग्रामीणों को नदियों की रेत में हाथ से गड्ढा खोदकर चुआरी बनानी पड़ती थी, जहाँ से धीरे-धीरे पानी भरता था। यह पानी ही पीने और खाना बनाने के लिए इस्तेमाल होता था। गाँव के कुछ पुराने कुएं ही एकमात्र विकल्प थे, जो गर्मियों में सूख जाते थे।
गांव की स्थिति की जानकारी मिलने पर बांका के जिलाधिकारी के माध्यम से लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग ने संज्ञान लिया और महज दो हफ्तों में गांव की तस्वीर बदल दी।
हर घर नल का जल: 210 घरों में पहुंचा शुद्ध पानी
“हर घर नल का जल” निश्चय योजना के तहत गांव के 210 घरों में पाइपलाइन बिछाई गई और शुद्ध पेयजल की नियमित आपूर्ति शुरू कर दी गई है। इतना ही नहीं, बिजली की अनियमितता को देखते हुए बसावट के समीप तीन चापाकल भी लगाए गए हैं, ताकि किसी भी परिस्थिति में ग्रामीणों को जल संकट का सामना न करना पड़े।
गांव ने जताया आभार, सरकार को कहा धन्यवाद
गांव के लोगों ने अब चुआरी की मुसीबतों से छुटकारा पा लिया है और विभाग को खुले मंच से धन्यवाद दिया है। महिलाएं अब समय बचाकर बच्चों की पढ़ाई और घर के अन्य कार्यों पर ध्यान दे पा रही हैं।
मंत्री नीरज कुमार सिंह ने कहा – “यह प्रतिबद्धता का प्रतीक है”
लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग के मंत्री श्री नीरज कुमार सिंह ने कहा,
“मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार जी के नेतृत्व में राज्य सरकार का संकल्प है कि हर ग्रामीण परिवार को स्वच्छ पेयजल मिले। गौरीपुर में रिकॉर्ड समय में कार्य पूरा होना हमारी प्रतिबद्धता का उदाहरण है। विभाग प्रत्येक शिकायत पर त्वरित कार्रवाई के लिए तैयार है।”
जानिए योजना और शिकायत निवारण प्रणाली के बारे में
- हर घर नल का जल योजना के तहत अब तक 1.75 करोड़ से अधिक घरों में गृह जल संयोजन दिया जा चुका है।
- विभाग द्वारा टोल-फ्री नंबर (1800-123-1121 / 1800-345-1121 / 155367),
व्हाट्सएप नंबर (8544429024 / 8544429082)
और “स्वच्छ नीर” मोबाइल ऐप के माध्यम से शिकायत दर्ज कराई जा सकती है।
बांका के गौरीपुर गांव की यह सफलता न केवल एक सरकारी योजना की जीत है, बल्कि उन ग्रामीणों के धैर्य और उम्मीद की भी कहानी है, जिन्होंने दशकों का इंतज़ार अब राहत में बदला देखा।