पटना, 14 अगस्त 2025: बहुचर्चित नाबालिग दुष्कर्म कांड में राजद के पूर्व विधायक राजबल्लभ यादव को पटना हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। अदालत ने निचली अदालत द्वारा सुनाई गई आजीवन कारावास की सजा को पलटते हुए उन्हें सभी आरोपों से बरी कर दिया। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि अभियोजन पक्ष पीड़िता के आरोपों को साबित करने में विफल रहा, इसलिए आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए बरी किया जाता है।
9 साल पुराना मामला
6 फरवरी 2016 को नवादा में एक नाबालिग लड़की से दुष्कर्म का मामला सामने आया था। आरोप था कि बर्थडे पार्टी के बहाने पीड़िता को बोलेरो से एक महिला गिरियक स्थित घर ले गई। वहां उसे शराब पीने के लिए कहा गया, लेकिन इनकार करने पर जबरन उसके कपड़े उतारकर उसे बिस्तर पर धकेला गया और मुंह में कपड़ा ठूंस दिया गया। आरोप है कि शराब के नशे में धुत एक व्यक्ति ने उसके साथ दुष्कर्म किया। रातभर उसे अलग-अलग कमरों में रखा गया और अगले दिन सुबह घर छोड़ दिया गया।
पीड़िता ने अपने बयान में दावा किया था कि उसे वहां ले जाने वाली महिला ने दुष्कर्मी से ₹30,000 लिए थे, जिसे उसने खुद अपनी आंखों से देखा।
निचली अदालत का फैसला
इस मामले में MLA/MP स्पेशल कोर्ट ने 2018 में राजबल्लभ यादव, सुलेखा देवी और राधा देवी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। इसके अलावा छोटी देवी, संदीप सुमन और तुसी देवी को 10-10 साल की सजा और ₹10,000 जुर्माना लगाया गया था। सजा सुनाए जाने के बाद राजबल्लभ यादव की नवादा विधानसभा सीट भी रिक्त हो गई थी।
हाईकोर्ट का आदेश
राजबल्लभ यादव समेत सभी छह दोषियों ने निचली अदालत के फैसले के खिलाफ पटना हाईकोर्ट में अपील दायर की थी। जस्टिस मोहित कुमार शाह की खंडपीठ ने 7 मई 2025 को सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रखा था। गुरुवार को सुनाए गए आदेश में हाईकोर्ट ने कहा कि अभियोजन पक्ष अपने आरोपों को प्रमाणित करने में असफल रहा। गवाहों के बयानों में विरोधाभास और पर्याप्त सबूतों के अभाव के कारण सभी आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए बरी किया गया।
राजबल्लभ यादव आरजेडी के वरिष्ठ नेता और नवादा से विधायक रह चुके हैं। आरोप लगते ही 2016 में पार्टी ने उन्हें निलंबित कर दिया था। यह मामला बिहार की राजनीति में लंबे समय तक सुर्खियों में रहा और राष्ट्रीय स्तर पर भी इसकी चर्चा हुई थी।


